तर्ज—इस जग में जो आया……
सरयू नदी की धार यशोगान कर रही।
निज स्वर में तीर्थक्षेत्र का सम्मान कर रही।।टेक.।।
इस तीर्थ अयोध्या को कोई जीत न सका।
शासन यहाँ चला कभी प्रभु आदिनाथ का।।
छह खंड के…… छह खंड के अधिपति भरत को याद कर रही-२
निज स्वर में तीर्थक्षेत्र का सम्मान कर रही।।१।।
इक्ष्वाकुवंश में यहाँ के बहुत से राजा।
पुत्रों को राज्य सौंप बने थे मुनीराजा।।
उनकी यशो…… उनकी यशोगाथा स्वयं बखान कर रही-२
निज स्वर में तीर्थक्षेत्र का सम्मान कर रही।।२।।
भगवान ऋषभदेव राम की जनमथली।
प्रभु बाहुबली ब्राह्मी सुन्दरी यहीं पली।।
सीता की…… सीता की अग्नि परीक्षा का ध्यान कर रही-२
निज स्वर में तीर्थक्षेत्र का सम्मान कर रही।।३।।
श्री ज्ञानमती आर्यिका गणिनी यहाँ आई।
प्रभु मस्तकाभिषेक योजना थी बताई।
उनको पदों…… उनके पदों में नीर से प्रक्षाल कर रही-२
निज स्वर में तीर्थक्षेत्र का सम्मान कर रही।।४।।
सरयू नदी इस तीर्थ की पहचान बन गई।
इससे ही ‘‘चन्दना’’ यहाँ की शान बढ़ गई।।
वृषभेश के…… वृषभेश के युग का ही मानो भान कर रही-२
निजस्वर में तीर्थक्षेत्र का सम्मान कर रही।।५।।