ईंगुर का दूसरा नाम सिन्दुर है | भारतीय परम्परा में इसका बहुत बड़ा महत्व है | इसका प्रयोग सुहागन महिलाएं करती है जो कि सिर में मांग निकालकर इसे पतली रेखा के रूप में भरकर करती है |
शादी से पूर्व कुंवारी कन्या इसका प्रयोग नहीं करती है | विवाह के दिन पति द्वारा प्रथम बार पत्नी कि मांग भरकर ईंगुर भरने कि परम्परा प्रारम्भ होती है अर्थात प्रथम बार जब पति अपने हाथ से पत्नी कि मांग में सिंदूर भरता है उसके बाद वह सुहागन स्त्री प्रतिदिन मांग में सिंदूर डालती है जिसे शुभ एवं सुहागन का मुख्य चिन्ह माना जाता है | पति के मृत्यु के पश्चात् पत्नी कभी मांग में सिंदूर नहीं लगाती है यह भारतीय परम्परा है |
भारत में कही – २ यह भी प्रथा है कि जब विवाह योग्य युवती कि विवाह स्वीकृति प्राप्त हो जाती है तब वरपक्ष की महिलाएं सास या बड़ी ननद चांदी के सिक्के से अपनी भावी वधु की मांग में सिंदूर डालकर शगुन करती है और यह माना जाता है अब विवाह होना पूर्णरूपेण निश्चित हो गया है | इसे आम भाषा में ‘सगाई ‘ होना कहते है |