जिस कर्म के उदय से श्वासोच्छवास हो । उसे उच्छ्वास कहते है । वीर्यान्तराय और ज्ञानावरण के क्षयोपशम तथा अंगोपांग नाम कर्म के उदय की अपेक्षा रखने वाला आत्मा कोष्ठगत जिस वायु को बाहर निकालता है उच्छ्वास लक्षण इस वायु को प्राण कहते हैं । अर्थात् प्राण का एक भेद श्वासोच्छवास है । और आहार पर्याप्ति का भी एक भेद श्वासोच्छ्वास है । उच्छवास नाम कर्म की भी एक प्रकृति है जिसका अर्थ है – जिसके उदय से श्वास – उच्छवास की क्रिया हो ।