मंदर पर्वत के उत्तर, नील पर्वत के दक्षिण, माल्यवान् गजदंत के पश्चिम और गंधमादन के पूर्व में सीता नदी के दोनों किनारों पर ‘भोगभूमि’ इस प्रकार से विख्यात रमणीय उत्तरकुरु नामक क्षेत्र है। इसका संपूर्ण वर्णन देवकुरु के वर्णन के समान है।