-स्थापना (अडिल्ल छंद)-
दिल्ली का उत्तरी क्षेत्र पावन बड़ा।
जिन मंदिर अरु जैनमूर्तियाँ हैं जहाँ।।
चलके पूजन करें पुण्यवर्धन करें।
पहले स्थापन करके अर्चन करें।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे उत्तरसंभागस्थितसमस्त-जिनमंदिरजिनप्रतिमासमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे उत्तरसंभागस्थितसमस्त-जिनमंदिरजिनप्रतिमासमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे उत्तरसंभागस्थितसमस्त-जिनमंदिरजिनप्रतिमासमूह! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधीकरणं।
-अष्टक (शंभु छंद)-
जिनवर प्रभु ने कर्मों की ज्वाला, समता जल से शांत किया।
हमने लेकर जल की धारा, जिनवर पद का प्रक्षाल किया।।
भारत कि राजधानी दिल्ली के, उत्तर भाग में चलते हैं।
जिनमंदिर एवं जिनप्रतिमाओं, को शत वन्दन करते हैं।।१।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य उत्तरसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
मन की शीतलता हेतु शुद्ध, चंदन प्रभु पद में चर्चूं मैं।
भव के संकल्प विकल्पों को तज, मन को स्थिर कर लूँ मैं।।
भारत कि राजधानी दिल्ली के, उत्तर भाग में चलते हैं।
जिनमंदिर एवं जिनप्रतिमाओं, को शत वन्दन करते हैं।।२।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य उत्तरसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: संसारतापविनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा।
अक्षयपद पाने हेतु प्रभो! अक्षत पुंजों से मैं अर्चूं।
कर्मों को खंडित करने हित, निज को निज में स्थिर कर लूँ।।
भारत कि राजधानी दिल्ली के, उत्तर भाग में चलते हैं।
जिनमंदिर एवं जिनप्रतिमाओं, को शत वन्दन करते हैं।।३।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य उत्तरसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: अक्षयपदप्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा।
इन्द्रियविषयों के नाश हेतु, पुष्पों द्वारा प्रभु को अर्चूं।
आत्यन्तिक सुख की प्राप्ति हेतु, निज को निज में स्थिर कर लूँ।।
भारत कि राजधानी दिल्ली के, उत्तर भाग में चलते हैं।
जिनमंदिर एवं जिनप्रतिमाओं, को शत वन्दन करते हैं।।४।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य उत्तरसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।
हलुवा पूड़ी नैवेद्य आदि का, थाल सजा प्रभु को अर्चूं।
क्षुधरोग विनाशन हेतु नाथ, निज को निज में स्थिर कर लूँ।।
भारत कि राजधानी दिल्ली के, उत्तर भाग में चलते हैं।
जिनमंदिर एवं जिनप्रतिमाओं, को शत वन्दन करते हैं।।५।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य उत्तरसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
कंचन थाली में दीपक ले, मैं जिनवर की आरति कर लूँ।
मोहांधकार के नाश हेतु, निज को निज में स्थिर कर लूँ।।
भारत कि राजधानी दिल्ली के, उत्तर भाग में चलते हैं।
जिनमंदिर एवं जिनप्रतिमाओं, को शत वन्दन करते हैं।।६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य उत्तरसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: मोहान्धकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
चंदन अरु अगर तगर आदिक, अग्नी में धूप दहन कर लूँ।
कर्मारि दग्ध करने हेतू, निज को निज में स्थिर कर लूँ।।
भारत कि राजधानी दिल्ली के, उत्तर भाग में चलते हैं।
जिनमंदिर एवं जिनप्रतिमाओं, को शत वन्दन करते हैं।।७।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य उत्तरसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा।
एला केला अंगूर आदि, फल के द्वारा प्रभु को अर्चूं।
निर्वाण प्राप्ति के लिए नाथ, निज को निज में स्थिर कर लूँ।।
भारत कि राजधानी दिल्ली के, उत्तर भाग में चलते हैं।
जिनमंदिर एवं जिनप्रतिमाओं, को शत वन्दन करते हैं।।८।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य उत्तरसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा।
ले अष्टद्रव्य ‘‘चन्दनामती’’ जिनवर पद में अर्पण कर लूँ।
निजपद अनर्घ्य की प्राप्ति हेतु, निज को निज में स्थिर कर लूँ।।
भारत कि राजधानी दिल्ली के, उत्तर भाग में चलते हैं।
जिनमंदिर एवं जिनप्रतिमाओं, को शत वन्दन करते हैं।।९।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य उत्तरसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
-दोहा-
मंदिर एवं मूर्तियाँ, नवदेवों में देव।
शांतीधारा की क्रिया, है सुख शांती हेत।।१०।।
शांतये शांतिधारा।।
मंदिर में प्रभु के निकट, पुष्पांजलि चढ़ाय।
हृदय कमल विकसित करूँ, गुणपुष्पों को पाय।।११।।
दिव्य पुष्पांजलि:।।
।।अथ मण्डलस्योपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत्।।
-शंभु छंद-
उत्तर दिल्ली के अशोक विहार में महावीर जिनमंदिर है।
भगवान के चरणों में जाकर सब भक्त करें अभिवन्दन है।।
मंदिर के मूलनायक प्रभु के संग सब बिम्बों को नमन करूँ।
मैं अर्घ्य चढ़ाकर जिनवर को अपने पापों को शमन करूँ।।१।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य अशोकविहार-फेज १ स्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
दिल्ली के अशोक विहार में इक श्री पार्श्वनाथ जिनमंदिर है।
उस मंदिर में पूजा भक्ती का बहता सदा समन्दर है।।
मंदिर के मूलनायक प्रभु के संग सब बिम्बों को नमन करूँ।
मैं अर्घ्य चढ़ाकर जिनवर को अपने पापों को शमन करूँ।।२।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य अशोकविहार-फेज २ स्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
उत्तर दिल्ली के अशोक विहार में सत्यवती कालोनी है।
प्रभु वीर जिनालय से शोभित भक्तों की वहाँ पर टोली है।।
मंदिर के मूलनायक प्रभु के संग सब बिम्बों को नमन करूँ।
मैं अर्घ्य चढ़ाकर जिनवर को अपने पापों को शमन करूँ।।३।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य सत्यवतीकालोनी-अशोकविहार-फेज ३ स्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीर-प्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
श्री बुध विहार में महावीर भगवान का मंदिर प्यारा है।
हर भक्त जहाँ भक्ती करके पाते भवदधि का किनारा है।।
मंदिर के मूलनायक प्रभु के संग सब बिम्बों को नमन करूँ।
मैं अर्घ्य चढ़ाकर जिनवर को अपने पापों को शमन करूँ।।४।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य बुधविहार-फेज १ स्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
अब चलो गुलाबीबाग के बाग में पार्श्वनाथ तीर्थंकर हैं।
वे सब भव्यात्मा भक्तों को सुख देने में क्षेमंकर हैं।।
मंदिर के मूलनायक प्रभु के संग सब बिम्बों को नमन करूँ।
मैं अर्घ्य चढ़ाकर जिनवर को अपने पापों को शमन करूँ।।५।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य गुलाबीबागस्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
तर्ज-देखो तेरहद्वीप के अंदर……
पंचमकाल में हर प्राणी को, जिनमंदिर का सहारा है।।……।।टेक.।।
देवनगर में वीर प्रभू, की अतिशयकारी प्रतिमा है।
उन संयुत सब जिनबिम्बों को, अर्घ्य चढ़ाऊँ प्यारा है।।
पंचमकाल में…..।।६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य देवनगर-करोलबागस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरप्रतिमासमन्वित-समस्तजिन-प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
छप्पर वाला करोलबाग में, शांतिनाथ का दर्श करो।
उन संयुत सब जिनबिम्बों को, अर्घ्य चढ़ाऊँ प्यारा है।।
पंचमकाल में…..।।७।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य छप्परवाला-करोलबागस्थित-श्रीशांतिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीशांतिनाथ-प्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
मजलिस पार्क के महावीर जिनमन्दिर में भक्ती कर लूँ।
उन संयुत सब जिनबिम्बों को, अर्घ्य चढ़ाऊँ प्यारा है।।
पंचमकाल में…..।।८।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य मजलिसपार्कस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
मोरीगेट के जिनमंदिर में, ऋषभदेव प्रभु मूल कहे।
उन संयुत सब जिनबिम्बों को, अर्घ्य चढ़ाऊँ प्यारा है।।
पंचमकाल में…..।।९।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य मोरीगेटस्थित-श्रीऋषभदेवजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीऋषभदेवप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
मॉडलबस्ती का मंदिर, वीरातिवीर से शोभ रहा।
उन संयुत सब जिनबिम्बों को, अर्घ्य चढ़ाऊँ प्यारा है।।
पंचमकाल में…..।।१०।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य मॉडलबस्तीस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०।।
मॉडल टाउन में सन्मतिप्रभु, सबको सन्मति देते हैं।
उन संयुत सब जिनबिम्बों को, अर्घ्य चढ़ाऊँ प्यारा है।।
पंचमकाल में…..।।११।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य मॉडलटाउनस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११।।
पार्श्वनाथ भगवान की महिमा, नगलीपूना में छाई है।
उन संयुत सब जिनबिम्बों को, अर्घ्य चढ़ाऊँ प्यारा है।।
पंचमकाल में…..।।१२।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य नगलीपूनास्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२।।
वर्धमान भगवान प्रशान्त विहार में शांति प्रदान करें।
उन संयुत सब जिनबिम्बों को, अर्घ्य चढ़ाऊँ प्यारा है।।
पंचमकाल में…..।।१३।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य प्रशान्तविहारस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३।।
पीतमपुरा के सी.पी. ब्लॉक में, ऋषभदेव जिनमंदिर है।
उन संयुत सब जिनबिम्बों को, अर्घ्य चढ़ाऊँ प्यारा है।।
पंचमकाल में…..।।१४।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पीतमपुरा-सी पी. ब्लॉकस्थित-श्रीऋषभदेवजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीऋषभदेवप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४।।
-स्रग्विणी छंद-
नॉर्थ पीतमपुरा में है जिनमंदिरम्।
वीरजिनवर की प्रतिमा जहाँ सुन्दरम्।।
अर्घ्य अर्पण करें आत्मशान्ती मिले।
प्रभु को वन्दन करें सब अशान्ती टले।।१५।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य नार्थपीतमपुरास्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५।।
चलो पुष्पांजली एन्क्लेव चलें।
वीर मंदिर में जिनवर को वन्दन करें।।
अर्घ्य अर्पण करें आत्मशान्ती मिले।
प्रभु को वन्दन करें सब अशान्ती टले।।१६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पुष्पांजलिएन्क्लेव-पीतमपुरास्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६।।
एक राजस्थली नाम का क्षेत्र है।
पार्श्वप्रभु गुणसुगंधी का जो केन्द्र है।।
अर्घ्य अर्पण करें आत्मशान्ती मिले।
प्रभु को वन्दन करें सब अशान्ती टले।।१७।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य राजस्थली अपार्टमेंट-पीतमपुरास्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७।।
है सरस्वति विहार में पारसजिनम्।
मिलती है शांति उनके करें दर्शनम्।।
अर्घ्य अर्पण करें आत्मशान्ती मिले।
प्रभु को वन्दन करें सब अशान्ती टले।।१८।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य सरस्वतीविहार-पीतमपुरास्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१८।।
राजपुर रोड सुन्दर खुले स्थान में।
पार्श्व प्रभुवर विराजे हैं जिनधाम में।।
अर्घ्य अर्पण करें आत्मशान्ती मिले।
प्रभु को वन्दन करें सब अशान्ती टले।।१९।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य राजपुररोडस्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१९।।
रानीबाग का उपवन प्रभू शांति से।
खिल रहा भक्त पाते वहाँ शांति है।।
अर्घ्य अर्पण करें आत्मशान्ती मिले।
प्रभु को वन्दन करें सब अशान्ती टले।।२०।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य रानीबागस्थित-श्रीशांतिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीशांतिनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२०।।
रोहिणी में विराजे हैं पारस प्रभो।
जैनमंदिर की महिमा शिखर से कहो।।
अर्घ्य अर्पण करें आत्मशान्ती मिले।
प्रभु को वन्दन करें सब अशान्ती टले।।२१।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य रोहिणी-सेक्टर-३ स्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२१।।
रोहिणी में प्रभू भक्तिस्वर गूंजते।
पार्श्वप्रभु पाँच सेक्टर में हैं राजते।।
अर्घ्य अर्पण करें आत्मशान्ती मिले।
प्रभु को वन्दन करें सब अशान्ती टले।।२२।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य रोहिणी-सेक्टर ५ स्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२२।।
शांति जिन सात सेक्टर के मंदिर में हैैं।
शांति पाते जहाँ भव्य अंदर से हैं।।
अर्घ्य अर्पण करें आत्मशान्ती मिले।
प्रभु को वन्दन करें सब अशान्ती टले।।२३।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य रोहिणी-सेक्टर-७ स्थित-श्रीशांतिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीशांतिनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२३।।
ऋषभप्रभु आठ सेक्टर के जिनधाम में।
भक्त लेवें जा मंदिर में प्रभु नाम है।।
अर्घ्य अर्पण करें आत्मशान्ती मिले।
प्रभु को वन्दन करें सब अशान्ती टले।।२४।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य रोहिणी-सेक्टर-८ स्थित-श्रीऋषभदेवजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीऋषभदेवशांतिनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२४।।
-शेर छंद-
कालोनी अहिंसा विहार रोहिणी में है।
प्रभु पार्श्व जिनालय में भक्त भक्ति करते हैं।।
कर अर्घ्य समर्पण वहाँ प्रभु को करें नमन।
हम भक्ति से श्रद्धा सुमन करते हैं समर्पण।।२५।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य अहिंसा विहार-रोहिणी-सेक्टर-९ स्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२५।।
रोहिणी के सेक्टर ग्यारह में वीर जिनेश्वर।
सम्यक्त्व का झरना जहाँ बहता है प्रभु के दर।।
कर अर्घ्य समर्पण वहाँ प्रभु को करें नमन।
हम भक्ति से श्रद्धा सुमन करते हैं समर्पण।।२६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य रोहिणी-सेक्टर-११ स्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२६।।
श्री चन्द्रप्रभु हैं आतमवल्लभविहार में।
चन्दा सदृश नवज्योति मिले आत्मवास में।।
कर अर्घ्य समर्पण वहाँ प्रभु को करें नमन।
हम भक्ति से श्रद्धा सुमन करते हैं समर्पण।।२७।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य आत्मवल्लभविहार-रोहिणी-सेक्टर-१३ स्थित-श्रीचन्द्रप्रभजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीचन्द्रप्रभ-प्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२७।।
सनराइज है अपार्टमेंट रोहिणी में ही।
प्रभु महावीर भक्ति करें भक्त वहाँ ही।।
कर अर्घ्य समर्पण वहाँ प्रभु को करें नमन।
हम भक्ति से श्रद्धा सुमन करते हैं समर्पण।।२८।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य सनराइज अपार्टमेंट-रोहिणी-सेक्टर-१३ स्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीर-प्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२८।।
जैना अपार्टमेंट में है पार्श्व जिनालय।
सम्यक्त्व प्राप्त करने का सुन्दर है जो निलय।।
कर अर्घ्य समर्पण वहाँ प्रभु को करें नमन।
हम भक्ति से श्रद्धा सुमन करते हैं समर्पण।।२९।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य जैना अपार्टमेंट-रोहिणी-सेक्टर-१३ स्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथ-प्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२९।।
-शंभु छंद-
रोहिणि के सेक्टर सोलह में श्री शांतिनाथ का मंदिर है।
करते सब भक्त उसी मंदिर में पूजा पाठ निरन्तर हैं।।
मंदिर की मूलनायक प्रतिमा का अर्चन करने आए हम।
मंदिर में राजित सब बिम्बों को अर्घ्य चढ़ाने आए हम।।३०।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य रोहिणी-सेक्टर-१६ स्थित-श्रीशांतिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीशांतिनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३०।।
महावीर जिनालय राम विहार में भक्तों द्वारा निर्मित है।
हर आने वाला भक्त वहाँ प्रतिदिन फल पाता इच्छित है।।
मंदिर की मूलनायक प्रतिमा का अर्चन करने आए हम।
मंदिर में राजित सब बिम्बों को अर्घ्य चढ़ाने आए हम।।३१।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य रामविहारस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरप्रतिमासमन्वित-समस्तजिन-प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३१।।
अब शक्तिनगर के महावीर मंदिर में हमको चलना है।
मन वचन काय की शक्ति हेतु प्रार्थना प्रभू से करना है।।
मंदिर की मूलनायक प्रतिमा का अर्चन करने आए हम।
मंदिर में राजित सब बिम्बों को अर्घ्य चढ़ाने आए हम।।३२।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य शक्तिनगरस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरप्रतिमासमन्वित-समस्तजिन-प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३२।।
देखो तो शंकर रोड पे बना अहिंसा भवन में मंदिर है।
मंदिर में विराजित मूल वेदि में ऋषभदेव प्रभु सुन्दर हैं।।
मंदिर की मूलनायक प्रतिमा का अर्चन करने आए हम।
मंदिर में राजित सब बिम्बों को अर्घ्य चढ़ाने आए हम।।३३।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य अहिंसाभवन-शंकररोडस्थित-श्रीऋषभदेवजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीऋषभदेवप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३३।।
तर्ज-लेके पहला पहला प्यार……….
जय जय नेमिनाथ भगवान हम करते तेरा गुणगान,
तेरी पूजन से मिलता है सौख्य महान।।टेक.।।
शालीमार दिल्ली के मूलनायक प्रभु हैं।
नेमीनाथ स्वामी का सुन्दर जिनालय है।।
उस मंदिर के सब भगवान, देंगे मनवांछित वरदान,
तेरी पूजन से मिलता है सौख्य महान।।३४।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य शालीमारबागस्थित-श्रीनेमिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीनेमिनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिन-प्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३४।।
-शंभु छंद-
शांतिनाथ भगवान विराजे शास्त्रीनगर जिनालय में।
परम शांति पाने वाले भक्तों का मनोहर आलय ये।।
मंदिर की मूलनायक प्रतिमा का अर्चन करने आए हम।
मंदिर में राजित सब बिम्बों को अर्घ्य चढ़ाने आए हम।।३५।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य शास्त्रीनगरस्थित-श्रीशांतिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीशांतिनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३५।।
श्री आर्यपुरा सब्जीमण्डी में जिनमंदिर प्राचीन कहा।
शुभ आर्षमार्ग की परम्परा चलती थी कभी प्राचीन जहाँ।।
भट्टारक परम्परा का भी इतिहास सुना इस मंदिर का।
वहाँ की सब जिनप्रतिमाओं की, अर्चा देती है पुण्य महान।।३६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य आर्यपुरा-सब्जीमण्डी-स्थित-श्रीऋषभदेवजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीऋषभदेवप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३६।।
है नाम पहाड़ी धीरज का प्राचीन मंदिरों में आगे।
प्रभु पार्श्वनाथ की भक्ति हेतु गलियों में भक्त जाते भागे।।
मंदिर की मूलनायक प्रतिमा का अर्चन करने आए हम।
मंदिर में राजित सब बिम्बों को अर्घ्य चढ़ाने आए हम।।३७।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पहाड़ीधीरज श्रीपार्श्वनाथ दिगम्बर जैनबड़ामंदिरस्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथ-प्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३७।।
इक छोटा मंदिर नाम से भी है पहाड़ी धीरज में मंदिर।
सब श्रावक और श्राविकाएँ वहाँ पर प्रभु भक्ति करें सुन्दर।।
मंदिर की मूलनायक प्रतिमा का अर्चन करने आए हम।
मंदिर में राजित सब बिम्बों को अर्घ्य चढ़ाने आए हम।।३८।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पहाड़ीधीरजछोटा-मंदिरस्यसमस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३८।।
डिप्टीगंज सदर बजार में श्रीचन्द्रप्रभ जिनमंदिर है बना।
भगवान आतमा पाने हेतू भक्त करें पुरुषार्थ घना।।
मंदिर की मूलनायक प्रतिमा का अर्चन करने आए हम।
मंदिर में राजित सब बिम्बों को अर्घ्य चढ़ाने आए हम।।३९।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य डिप्टीगंज-सदरबाजारस्थित-श्रीचन्द्रप्रभजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीचन्द्रप्रभप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३९।।
त्रिनगर के देवाराम पार्क में नेमिनाथ जिनधाम बना।
राजुल व नेमि के इतिहासों के सुमिरन का वह केन्द्र बना।।
मंदिर की मूलनायक प्रतिमा का अर्चन करने आए हम।
मंदिर में राजित सब बिम्बों को अर्घ्य चढ़ाने आए हम।।४०।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य देवारामपार्क-त्रिनगरस्थित-श्रीनेमिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीनेमिनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४०।।
तर्ज-जिनमंदिर का निर्माण……..
जिनमंदिर है पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब पूजन करें।।०।।
दिल्ली विवेकानन्दपुरी में,
भक्त जहाँ भक्ती में आनंद मगन हैं।
ले हाथों में अर्घ्य का थाल, चलो अर्घ्य अर्पण करें।।जिनमंदिर हैं…..।।
मंदिर के मूलनायक वीरप्रभु हैं,
चौबीसवें तीर्थंकर ये जिन हैं।
ये अहिंसा के हैं अवतार, चलो सब दर्शन करें।।जिनमंदिर हैं…..।।४१।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य विवेकानंदपुरी-सरायरोहिल्लास्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीर-प्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४१।।
जिनमंदिर है पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब पूजन करें।।०।।
पार्श्वनाथ जिनमंदिर से शोभित,
न्यू रोहतक रोड का भक्तिस्थल।
पारस प्रभु की है महिमा महान, चलो सब दर्शन करें।।जिनमंदिर हैं…..।।
अर्घ्य चढ़ा प्रभु से प्रार्थना करें हम,
उत्तम क्षमा को मन में धरें हम।।
तभी धैर्य मिलेगा महान, चलो सब अर्चन करें।।जिनमंदिर हैं…..।।४२।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य न्यूरोहतकरोडस्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथप्रतिमासमन्वित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४२।।
-शंभु छंद-
गुड़मण्डी राणाप्रताप बाग जी.टी. करनाल रोड पर है।
प्रभु पार्श्वनाथ की मूलनायक प्रतिमायुत जहाँ जिनमंदिर है।।
उन प्रभु को अर्घ्य चढ़ा करके सब प्रतिमाओं को नमन करूँ।
निज को भगवान बनाने हित भगवान के पद में नमन करूँ।।४३।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे राणाप्रतापबाग-गुड़मण्डी, जी.टी.करनाल रोडस्थित श्रीपार्श्वनाथजिनमंदिरे विराजमान मूलनायक-तीर्थंकर-श्रीपार्श्वनाथ-प्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४३।।
श्री स्टेट बैंक कालोनी में महावीर जिनालय है।
सब भक्तों की भक्ती के लिए वह मंगलमयी सुखालय है।।
उन प्रभु को अर्घ्य चढ़ा करके सब प्रतिमाओं को नमन करूँ।
निज को भगवान बनाने हित भगवान के पद में नमन करूँ।।४४।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे स्टेटबैंककालोनीस्थित श्रीमहावीरजिनमंदिरेविराजमान मूलनायकतीर्थंकरश्रीमहावीरजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४४।।
सब्जीमण्डी के बरफखाना में पार्श्वनाथ जिनमंदिर है।
इस पंचमकाल में ज्ञान-ध्यान-भक्ती का जहाँ समन्दर है।।
उन प्रभु को अर्घ्य चढ़ा करके सब प्रतिमाओं को नमन करूँ।
निज को भगवान बनाने हित, भगवान के पद में नमन करूँ।।४५।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे सब्जीमण्डी बर्फखानास्थित श्रीपार्श्वनाथजिनमंदिरे विराजमान मूलनायक श्रीपार्श्वनाथजिनप्रतिमासहित समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४५।।
बख्तावरपुर दिल्ली में मुनिसुव्रतनाथ का तीरथ है।
आचार्यश्री सौभाग्यसागर की सम्प्रेरणा का ही फल है।।
उस तीरथ पर आगमधारा से पंचामृत अभिषेक चले।
वहाँ के प्रभु की पूजन करके सब रोग-शोक अरु विघ्न टलें।।४६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे बख्तावरपुरस्थित श्रीमुनिसुव्रतनाथतीर्थपरिसरे विराजमान मूलनायकतीर्थंकरश्रीमुनिसुव्रतनाथ-जिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४६।।
शांतये शांतिधारा, दिव्य पुष्पांजलि:।
राजधानी दिल्ली में निर्मित