श्रुतज्ञान के अंग प्रविष्ट को बारहवां भेद दृष्टिवादांग है । दृष्टिवादांग के पाँच अधिकार है – परिकर्म, सूत्र , प्रथमानुयोग, पूर्वगत और चूलिका इनमें से पूर्वगत अर्थाधिकार के चौदह भेद हैं –
१़ उत्पादपूर्व
२़ अग्रायणीयपूर्व
३़ वीर्यानुप्रवादपूर्व
४़ अस्ति नास्ति प्रवादपूर्व ,
५़ ज्ञानप्रवाद पूर्व
६़ सस्त्यप्रवाद पूर्व
७़ आत्म प्रवाद पूर्व
८़ कर्म प्रवाद पूर्व
९़़ प्रत्याख्यान पूर्व
१० विद्यानुप्रवाद पूर्व
११़ कल्याणवाद पूर्व
१२ प्राणावाय पूर्व
१३ क्रियाविशालपूर्व
१४ लोक बिंदुसार पूर्व ।
उत्पादपूर्व – यह पूर्व दस वस्तुगत , दो सौ प्राभृतों के एक करोड़ पदों द्वारा जीव काल और पुद्गल द्रव्य के उत्पाद व्यय और ध्रौण्य का वर्णन करता है ।