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उत्सव बहुत मनाया, जिनवर को भी रिझाया
June 17, 2020
भजन
jambudweep
उत्सव बहुत मनाया, जिनवर को भी रिझाया
तर्ज—चूड़ी मजा न देगी………………
उत्सव बहुत मनाया, जिनवर को भी रिझाया।
जन-जन को जिनधरम से, परिचित नहीं कराया।। टेक.।।
जाती व सम्प्रदायों, में धर्म को न बाँटो।
इन्सान बँट गया अब,
भगवान को न बाँटो।।
भगवान को…… उत्तम सुखों का दायक, यह धर्म ही बताया।।
उत्सव………………।।१।।
नहिं धर्म कोई कहता,
आपस में वैर करना। मतभेद हो भले ही,
मनभेद ना समझना।।
मनभेद ना…… मानव की भद्रता का,
परिचय यही बताया।। उत्सव…………………………………..।।२।।
है प्राकृतिक अनादी, सृष्टी सुरम्य जैसे।
जिनधर्म की व्यवस्था, सर्वोदयी है वैसे।।
सर्वोदयी……….. ईश्वर को वीतरागी, इस धर्म ने बताया।।
उत्सव……।।३।।
इक प्रेरणा मिली है, गणिनी माँ ज्ञानमती की।
प्रभु ऋषभ देशना ही, दुनिया को स्वस्थ करती।।
इस हेतु ‘चंदना’ अब, सबने बिगुल बजाया।। उत्सव…………….।।४।।
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