अर्चित वार्डिया का जन्म झीलों की नगरी उदयपुर में २० जनवरी, १९८८ को हुआ था। आप बहुत धार्मिक परिवार से थे। श्वेताम्बर परम्परा के आचार्य देवेन्द्र मुनि के भतीजे थे।
अर्चित अपनी माँ वीना वार्डिया, बहिन दिव्यांशी के साथ रहते थे। पिताजी का अवसान पहले ही हो चुका था।
अपने पिता श्री दिनेश वार्डिया के स्वप्न को पूरा करने के लिए बी० काम० की पढ़ाई के बाद आपने भारतीय सेना में मार्च २०१० में प्रवेश लिया।
सेना प्रवेश से पहले एन० डी० ए० की परीक्षा में पूरे भारत में ९वाँ स्थान प्राप्त किया था। एक साल की ट्रेनिंग के लिए चेन्नई गये, ट्रेनिंग के पूरा होते ही जम्मू-कश्मीर में लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्त हुए। ६ महीने तक उन्होंने आर्टीलरी की ट्रेनिंग भी ली।
लेफ्टिनेंट अर्चित वार्डिया ने १७५ मेड रेजीमेंट में प्रवेश किया, उनने अपनी माँग पर सियाचीन ग्लेसियर जैसी सबसे कठिन पोस्ट ली।
२० जुलाई, २०११ में रात्रि ९ बजे सियाचीन ग्लेसियर में दुश्मनों के बम ब्लास्ट से बहुत सारे सैनिकों एवं अपने सीनियर की रक्षा के लिए २० हजार फीट की ऊँचाई से अद्भुत साहस दिखाते हुए जलते हुए बंकर में कूद पड़े। जलने एवं दम घुटने के कारण अर्चित की मृत्यु हो गई । साथ में मेजरगुरफेज सिंह भी मृत्यु की गोद में समा गये।
अर्चित वार्डिया का संदेश था कि – हर एक को मरना है लेकिन मेरी मौत सबको याद रहेगी।