उदिष्टत्याग-जो अपने घर को छोडकर मुनियों के संघ में जाकर गुरु के पास दीक्षा ग्रहण करते हैं और नवकोटि विशुद्ध भिक्षावृति से आहार ग्रहण करता है निमंत्रण से भोजन नहीं करता है,खंड वस्त्र धारण करता है,वह उदिष्टत्यागी प्रतिमाधारी कहलाता है”