वीर नि. सं. २५०३ , सन १९७७ में यह उपन्यास लिखा गया | जीवंधर कुमार के जीवन के उतार – चढ़ाव को दर्शाने वाला यह उपन्यास सुकृत की महिमा को प्रगट करता है |