प्रमाण से जाने हुए पदार्थ के एक देश को ग्रहण करने वाले ज्ञाता के अभिप्राय विशेष को नय कहते है । नय के नव भेद हैं – द्रव्यार्थिक, पर्यायार्थिक, नैगम, संग्रह, व्यवहार, ऋजुसूत्र , शब्द , समभिरूढ़ और एवंभूत ।
नय की शाखा को उपनय कहते हैं । अथवा जो नयों के समीप हों – नय सदृश मालूम पड़े वे उपनय कहते हैं । इसके तीन भेद हैं – सदभूत व्यवहार नय, असदभूत व्यवहार नय और उपचरित असदभूत व्यवहारनय ।
उपचरित असदभूत व्यवहार नय के भी तीन भेद हैं ।
स्वजाति उपचरित असदभूत व्यवहार – जैसे स्त्री पुत्र आदि मेरे हैं ।
विजातीय उपचरित असदभूत व्यवहार – जैसे मकान , वस्त्र आदि पदार्थ मेरे हैं ।
स्वजाति विजाति असदभूत व्यवहार – जैसे देश , राज्य , दुर्ग आदि मेरे हैं ।