उस मानस्तम्भ के पास (ईशान दिशा में) ८ योजन ऊँचा, लम्बा और इतना ही चौड़ा उपपाद गृह है, उस उपपाद गृह में दो रत्नमयी शय्या हैं। यहीं पर इंद्र का जन्म स्थान है। उसी दिशा में इस उपपाद गृह के पास बहुत से शिखरों से युक्त पांडुक वन के जिनभवन सदृश उत्तम ‘जिनभवन’ हैं।