हरिवंश पुराण मे वंशावलि का विस्वृत वर्णन आचार्य श्री ने किया है। ऋषिवंश चन्द्रवंश- सोमवंश को ही कहा गया है।
युग की आदि में भगवान ऋषभदेव ने अयोध्या नगरी में जन्म लिया। युवावस्था मे उनकी आज्ञा लेकर इन्द्र ने राजा कच्छ-महाकच्छ की बहनों आदि सौ पुत्र हुए एवं सुनन्दा रानी बाहुबली नामक पुत्र उत्पन्न हुआ जो कि कामदेव थे। वह पोदनपुर के राजा थे और ज्येष्ठ भ्राता भरत के दिग्विजय के समय चक्ररत्न अयोध्या के बाहर रूक जाने पर सभी भाइयों से अपनी अधीनता स्वीकार कर लेने की आज्ञा देने पर स्वाभिमान की रक्षा हेतु दृष्टि, जल एवं मल्ल युद्ध कर उन्हें पराजित कर स्वयं विरक्त हो दीक्षित हो ये । उन्हीं बाहुबली के सोमयश नाम का अति सुन्दर पुत्र हुआ था। उसी सोमयश से सोमवंश चला।
चूंकि सोम नाम चन्द्रमा का है सो यह सोमवंश चन्द्रवंश भी कहलाया । पद्मपुराण में वर्णन आया हे कि चन्द्रवंश का दूसरा नाम ऋषिवंश भी है।
हरिवंश पुराण १३/१६-१७ तथा पद्मपुराण ५/११-१४
भरत बाहुबली
(सूर्यवंश का कर्ता ) सोमयश (ऋषिवंश का कर्ता )
महाबल
सुबल आदि सैकड़ो राजा इस वंश में उत्पन्न हुए