हल्दी मसाला ही नहीं, बल्कि एक प्रभावी घरेलू औषधि भी है, जिसका प्रयोग पुराने जमाने से ही किया जाता रहा है। सर्दी, खांसी, दर्द, चोट-मोच सहित कई ऐसे रोग-विकार हैं, जिनमें हल्दी के प्रयोग से आशातीत लाभ मिलता है। हल्दी एक बहुत ही कारगर प्रभाव वाली घरेलू औषधि है। धार्मिक कार्यों में केसरी, गोरोचन, चंदन, कपूर आदि के साथ हल्दी का भी प्रयोग किया जाता है। हल्दी को संस्कृत में हरिद्रा, योषित प्रिया, अरबी में कुंकुम, फारसी में जर्दचोब और अंग्रेजी में टर्मेरिक कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार हल्दी कृतिघ्न, पित्तरेचक, कटु, पौष्टिक, विषनाशक, कफ, पित्तनाशक और प्रमेहनाशक होती है। यह कुष्ठ, कुंडू, उदर्द आदि त्वचा रोगों के निवारण हेतु प्रयोग में लायी जाती है तथा रक्तशोधक भी होती है। शीतपित्त (छपाकी) रोग में इसका उपयोग किया जाता है। हृदय रोग, शारीरिक शिथिलता, रक्तपित्त, आध्मान (अफरा), पाण्डु रोग और अग्निमांद्य में हरिद्रादि क्षार का प्रयोग होता है। दीपन गुणों के कारण हल्दी कफ एवं आम दोष को पचाकर नष्ट करती है। हल्दी में ४ से ५ प्रतिशत तक वाष्पशील तेल होता है। इस तेल में कपूर जैसी सुगंध होती है, हल्दी में विशेष रूप से पित्तरंजक तत्व होता है, जिसे ‘कुर्कमिन’ कहते हैं। हल्दी में २३ प्रशित स्टार्च और ३० प्रतिशत एलब्यूमिन भी पाए जाते हैं। हल्दी में जल १३.१ प्रतिशत, काबोलिक तत्व ६९.४ प्रतिशत, वसा ५.१ प्रतिशत, प्रोटीन ६.३ प्रतिशत, खनिज तत्व ३.५ प्रतिशत, लौहा (आयरन) १८.६ मि.ग्रा. वैल्शियम १.५ प्रतिशत तथा फॉस्फोरस ०.२८ प्रतिशत होता है। १०० ग्राम हल्दी में विटामिन ‘ए’ आ.रा.ई. होता है। हल्दी के वाष्पशील तेल में एलर्जी को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता होती है। हल्दी के पित्तरंजक ‘कुर्कमिन’ में शोथ को नष्ट करने वाले तत्व मौजूद होते हैं। हल्दी विष के प्रभाव को भी निष्क्रिय करती है। शारीरिक आघात पर हल्दी को चूने के साथ पीसकर प्रयोग में लाया जाता है। हल्के गरम दूध के साथ हल्दी के चूर्ण का सेवन करने से चोट और शोथ में पूरा लाभ मिलता है। शीत ऋतु में सर्दी के प्रकोप से वातनाड़ी में जलन होने पर हल्दी का सेवन लाभप्रद है। २ चम्मच हल्दी का रस पानी में मिलाकर सेवन करने से रक्त शुद्ध होता है। श्लीपद रोग (हाथीपांव) में सुबह-शाम हल्दी का रस सेवन करने से बहुत लाभ मिलता है।
हल्दी के कुछ प्रमुख औषधीय गुण निम्नलिखित हैं :-
१.हल्दी को कूटकर तवे पर भूनकर बारीक चूर्ण तैयार करके रख लें, यह २-२ ग्राम चूर्ण चासनी मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से खांसी का प्रकोप नष्ट होता है।
२.३ ग्राम हल्दी के चूर्ण को १० ग्राम आंवले का रस और ५ ग्राम शहद में मिलाकर प्रतिदिन सुबह में सेवन करने से प्रमेह रोग में आशातीत लाभ मिलता है।
३. हल्दी और जवाइन १०-१० ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण तैयार करके रख लें। यह ३-५ ग्राम चूर्ण गुड़ के साथ सेवन करना शीतपित्त रोग में लाभप्रद है।
४.२ ग्राम हल्दी का बारीक चूर्ण २५०मि.ली. दूध में उबालकर सेवन करने से सर्दी, खांसी में लाभ मिलता है तथा छाती में जमा हुआ कफ आसानी से निकल जाता है।
५.५० ग्राम दही में १० ग्राम पिसी हुई हल्दी मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से पीलिया रोग का प्रकोप कम होता है।
६.हल्दी को गरम तवे पर भूनकर ग्वारपाठे के गूदे में मिलाकर सेवन करने से एक सप्ताह में बवासीर रोग का निवारण होता है।
७.हल्दी के टुकड़े को भूनकर रात में मुंह में रखकर चूसने से खांसी का प्रकोप शांत होता है तथा सर्दी-जुकाम का निवारण होता है।
८.बिच्छू के डंक मारने पर हल्दी को पानी के साथ पीसकर लेप करने से पीड़ा और जलन शांत होती है।
९.कच्चे दूध के साथ हल्दी पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा में निखार आता है।
१०. तिल के तेल में हल्दी डालकर देर तक आग पर पकाएं और हल्दी जल जाने पर उस तेल को छानकर रख लें। बूंद-बुंद करके कान में यह तेल डालने से कान में फुंसी से पीब निकलने की दशा में लाभ मिलता है और दर्द का निवारण होता है।
११. दांतों में पयोरिया रोग होने पर ५ ग्राम पिसी हुई हल्दी और ५ ग्राम पिसी हुई फिटकरी सरसों के तेल में मिलाकर प्रतिदिन दो बार मंजन की तरह प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
१२. शीत ऋतु में या अधिक बोलने से गला बैठने पर उबाले हुए गरम दूध में हल्दी का चूर्ण डालकर सेवन करना लाभप्रद है।
१३. ग्वारपाठे के रस में पिसी हुई हल्दी मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से प्लीहा वृद्धि में लाभ मिलता है।
१४.रक्त विकार के कारण फोड़े-फूंसियां, खाज-खुजली आदि की उत्पत्ति होती है, ऐसी दशा में हल्दी, सूखे आंवले, छोटी हरड़ और मंजीठ बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर कुल चूर्ण के बराबर मिश्री मिलाकर यह ५-५ ग्राम मिश्रित चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से पूरा लाभ मिलता है।
१५.मुंह में छाले हो जाने पर पिसी हुई एक ग्राम हल्दी ३०० मि.ली. पानी में मिलाकर कुल्ले करने से छाले नष्ट होते हैं।
१६. पिसी हई हल्दी को गरम तवे पर भूनकर मंजन की तरह प्रयोग करने से दांत दर्द शांत होता है।
१७. ३-३ ग्राम कच्ची हल्दी के रस में चासनी मिलाकर सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।
१८.हल्दी, काली मिर्च और हींग बराबर मात्रा में कूटकर बारीक चूर्ण तैयार कर लें। प्रतिदिन दिन में दो बार यह १-१ ग्राम चूर्ण चासनी के और तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर सेवन करने से श्वास रोग से पीड़ित व्यक्ति को बहु लाभ मिलता है।
ऐलक प्रज्ञानंद जीम श्री सत्यार्थी मीडीया दिसम्बर २०१४