रक्ताल्पता का कारण — रक्त के विशेष भाग हीमोग्लोबिन में लोहे की कमी। पौष्टिक आहार की कमी, हरे पत्ते वाली सब्जियाँ तथा फलों का सेवन न करने से एनीमिया हो जाता है। भूख न लगना या शारीरिक अनुपात के अनुसार कम भोजन करना भी इस रोग का कारण है। किसी लम्बी बीमारी के बाद व ज्यादा क्रोधी व चिन्तित व्यक्तियों में भी यह रोग पाया जाता है। लक्षण — शरीर बेदम लगता है। चेहरे की कान्ति नष्ट हो जाती है। नाखूनों का रंग सफेद हो जाता है। परिश्रम करने को जी नहीं चाहता है। मनुष्य अपने को थका—हारा समझता है। भूख नहीं लगती या बहुत कम लगती है। मल नहीं निकलता है—पेट की सफाई नहीं होती। रक्ताल्पता होने पर स्त्रियों में मासिक स्राव कष्ट से होता है या कम होता है या बिल्कुल नहीं होता। उपचार जिनके शरीर में रक्त की कमी हो टमाटर के रस में नींबू का रस मिलाकर लें। रक्तक्षीणता में आधा कप आँवले का रस, दो चम्मच चासनी, थोड़ा सा पानी मिलाकर पीने से लाभ होता है। रक्ताल्पता में फालसा खाने से लाल रक्त बढ़ता है। सहजना की पत्तियों की सब्जी खानी चाहिए, लोहे की कमी से होने वाली अरक्तता दूर होती है। चाय के सेवन से रक्तक्षीणता बढ़ती है। रक्ताल्पता (एनीमिया) में अंगूर से बढ़कर कोई दवा नहीं है। कमजोरी अनुभव होने पर नींबू पानी का सेवन करने से स्फूर्ति प्राप्त होती है। पपीता पाचन शक्ति बढ़ाता है तथा खून में वृद्धि करता है अत: जिन्हें खून की कमी हो उन्हें पपीता अवश्य खाना चाहिए। लाल टमाटरों का रस पीते रहने से कमजोरी व थकावट दूर होती है एवं भूख खुलती है। दालचीनी और काला तिल समान मात्रा में लेकर पीस लें। इस चूर्ण को आधा कप दूध या पानी के साथ लेने से कमजोरी दूर होती है। पके हुए मीठे आठ दस आडू दस—बारह दिन बराबर लें। १०—१५ काजू खूब चबाकर ऊपर से गर्म दूध पी लें। एक मुट्ठी फालसा रोज चूसने से रक्त की कमी नहीं रहती। आम को दूध में घोंट कर रोज पीने से रक्ताल्पता दूर होती है। थोड़ी मात्रा में रोज आलूबुखारा खाने से रक्त की कमी दूर होती है। ५—७ चीकू एक साथ सेवन करें। बेजान शरीर में जान आयेगी और कमजोरी दूर हो जायेगी। पालक भी एक बेहतर औषधि है। तिल का प्रयोग भोजन में होना चाहिए क्योंकि इसमें लौह तत्व पाया जाता है। शरीर एकदम कमजोर पड़ गया हो और आँखों के आगे अंधेरा छाने लगा हो तो समझ लीजिए कि शरीर में खून की कमी बढ़ रही है। ऐसे में आँवले के चूर्ण का तिल के चूर्ण में मिलाकर रख लें। अब एक चम्मच चूर्ण हर रोज चासनी मिला कर चाटें। देखते—देखते महीने भर में हालत सुधर जाएगी। अनार के रस को एनीमिया के रोगी को पिलाना फायदेमंद है।