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एम.ए.(पूर्वार्ध) इन जैनोलॉजी (द्वितीय पत्र)
April 20, 2023
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एम.ए.(पूर्वार्ध) इन जैनोलॉजी (द्वितीय पत्र)
गृहस्थ से श्रावक बनने की प्रक्रिया
01.1 गृहस्थ धर्म
01.2 जैनागम में वर्णित श्रावक धर्म
01.3 गृहस्थों के अष्टमूलगुण
01.4 गृहस्थों के षट् आवश्यक कर्म
गृहस्थों की आचार शुद्धि
02.1 उत्तम आचरण का आधार- शाकाहार
02.2 खानपान की शुद्धि परमावश्यक
02.3 मानव धर्म की विराट भूमिका
02.4 श्रावकाचार संग्रह में वर्णित श्रावक के विशेष कर्तव्य
आदर्श विद्यार्थी एवं श्रावक के कर्तव्य
03.1 विद्यार्थियों की आदर्श जीवनचर्या
03.2 व्रत उपवास : वैज्ञानिक अनुचिंतन
03.3 श्रावक की त्रेपन कियाएँ
03.4 श्रावक धर्म के एकादश सोपान : ग्यारह प्रतिमा
जैन मुनि चर्या
04.1 दीक्षा का महत्त्व
04.2 मूलाचार में वर्णित मुनिचर्या
04.3 दिगम्बर मुनि की नित्य-नैमित्तिक क्रियाएं
04.4 संपूर्ण परिग्रह त्याग से ही मोक्ष संभव है।
आर्यिका चर्या (जैन साध्वी चर्या)
05.1 नारी जीवन की उत्कृष्ट साधना आर्यिका दीक्षा
05.2 आर्यिका की आगमोक्त विनय विधि
05.3 मुनि और आर्यिका की चर्या में अन्तर
05.4 ऐतिहासिक आर्यिकाएँ
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