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एम.ए.(पूर्वार्ध) इन जैनोलॉजी (तृतीय पत्र)
April 20, 2023
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एम.ए.(पूर्वार्ध) इन जैनोलॉजी (तृतीय पत्र)
कर्म का स्वरूप एवं भेद-प्रभेद
01.1 प्राकृतिक कर्म व्यवस्था
01.2 अटल सिद्धान्त है कर्म का
01.3 कर्मबंध के कारण और प्रकार
01.4 कर्म के भेद-प्रभेद
संसार भ्रमण के कारण-अष्टकर्म
02.1 आत्मा की प्रभा को धूमिल करने वाले ज्ञानावरण- दर्शनावरण
02.2 सुख-दुःख प्रदाता वेदनीय एवं कर्मों का राजा मोहनीय
02.3 चतुर्गति यात्रा संवाहक आयुकर्म एवं शरीर निर्माता नामकर्म
02.4 गोत्र एवं अन्तरायकर्म की फलः स्थिति
कर्मों का बंध-उदय एवं सत्त्व आदि
03.1 बोए पेड़ बबूल का, आम कहाँ से होय
03.2 कर्मों की विविध अवस्थाएँ
03.3 कर्म प्रकृतियों में चार निक्षेप
03.4 कर्मसिद्धान्त और सम्यग्दर्शन
विविध दृष्टिकोणों से कर्मसिद्धान्त की व्याख्या
04.1 तप से होता है कर्मों का क्षय
04.2 कर्म सिद्धान्त के अन्तर्गत पर्याप्ति की विवेचना (आधुनिक विज्ञान के संदर्भ में)
04.3 कर्म सिद्धान्त का मनोवैज्ञानिक स्वरूप
04.4 विविध जैन ग्रंथों के आधार से जानें कर्म सिद्धान्त
सामायिक विधि एवं ध्यान साधना
05.1 कृतिकर्मपूर्वक सामायिक विधि
05.2 सामायिक के लिए योग्य काल- आसन मुद्रा आदि
05.3 ध्यान, ध्याता एवं ध्येय
05.4 चिन्ता छोड़ो चिन्तन करो
05.5 ध्यान के विषय में विशेष ज्ञातव्य
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