लंदन LED स्ट्रीट लाइट और व्यावसायिक आउटडोर लाइटिंग जैसे- ऐडवर्टाइजमेंट बोर्ड्स या बिलबोर्ड्स से निकलने वाली नीली रोशनी से ब्रेस्ट कैंसर और प्रॉस्टेट कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है। एक अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है। नीली रोशनी के संपर्क में रहने से खतरा ज्यादा बार्सिलोना इंस्टिट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ और ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि बड़े शहरों में रहने वाले लोग जो रात के दौरान नीली रोशनी के संपर्क में बहुत ज्यादा आते हैं उन्हें प्रॉस्टेट कैंसर का जोखिम 1.5 फीसदी अधिक होता है। इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम भी बढ़ जाता है। इसकी तुलना उस आबादी से की गई जो नीली रोशनी के संपर्क में ज्यादा नहीं आती। पुराने तरीकों की लाइट जो चमक देती थी वह ‘नारंगी’ स्पेक्ट्रम के दायरे में होती थी, लेकिन नई आधुनिक लाइटिंग नीले रंग की तेज रोशनी देती है। यह शोध जर्नल इन्वाइरनमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टव में प्रकाशित हुआ। गड़बड़ हो जाती है जैविक घड़ी यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर के अलेजानद्रो सानचेज ने कहा कि नीली रोशनी के उच्च स्तर के कारण जैविक घड़ी गड़बड़ा जाती है। अनुसंधानकर्ताओं को लंबे समय से यह संदेह था कि इसके कारण कैंसर का जोखिम बढ़ता है। नए निष्कर्ष इनके बीच गहरे संबंध की ओर संकेत करते हैं। हॉर्मोन्स होते हैं प्रभावित अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि अब हमें यह पता लगाना चाहिए कि स्मार्टफोन और टैबलेट से निकलने वाली नीली रोशनी के रात के वक्त संपर्क में आने से भी क्या कैंसर का जोखिम बढ़ता है। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि LED लाइट के कारण शरीर का 24 घंटे का चक्र गड़बड़ा जाता है। इससे हॉर्मोन प्रभावित होते हैं। गौरतलब है कि ब्रेस्ट कैंसर और प्रॉस्टेट कैंसर दोनों ही हॉर्मोन से संबंधित हैं।