सोंङ्ग, मिर्च, पीपल आदि औषधियां कहलाती है । वनों में अनेक प्रकार के वृक्ष होते है जिनकी पत्तियां, छाल, पूâल , कोंपल , फल आदि से औषधि का निर्माण किया जाता है । औषधि अनेक प्रकार की है – आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, एलोपैथी तथा अंगे्रजी दवा । शुद्धता की दृष्टि से आयुर्वेदिक औषधि सर्वथा शुद्ध है जिसके सेवन से न तो कोई दोष लगता है न ही विपरीत प्रभाव पड़ता है । व्रती, साधुगण इसी औषधि का प्रयोग करते हैं ।
वर्तमान में विज्ञान की निरन्तर प्रगति ने अनेकों दवाओं की खोज की है, इंजेक्शन्स निकाले हैं जिनसे बड़े -२ असाध्य रोग भी दूर हो जाते हैं परन्तु यह दवाएँ जहां एक ओर लाभ पहुंचाती है वही साइड इपेâक्ट भी होता देखा जाता है ।
विज्ञान की ही खोज ने इन औषधियों का विकृत रूप ड्रग्स, कोकीन, चरस, गांजा आदि ऐसी वस्तुएं निर्मित की है जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से पहुंचाकर काल के गर्व में भी ढकेल देती है और असमय में ही मृत्यु के मुंह में प्रवेश करा देती है ।