जो पदार्थ भक्षण करने अर्थात खाने योग्य नहीं है उन्हें अभक्ष्य कहते है| इनके पांच भेद हैं – त्रसहिंसाकराक , बहुस्थावर हिंसाकारक, प्रमादकारक, अनिष्ट और अनुपसेव्य | जिस पदार्थ के खाने से त्रस जीव का घात हो वह त्रसहिंसाकराक जैसे पंच उदम्बर फल, घुना अन्न, अमर्यादित वस्तु आदि | जिस पदार्थ के खाने से स्थावर जीवों का घाट होता है वह स्थावर हिंसाकारक अभक्ष्य है जैसे- प्याज , लहसुन , आलू , मूली आदि कंदमूल तथा तुच्छ फल |
एक निगोदिया जीव के शरीर में अनंतानंत सिद्धों से भी अनतगुणे जीव रहते है और एक आलू आदि कंदमूल में अनंत निगोदिया जीव है इसलिए इन कंदमूल आदि का त्याग कर देना चाहिए | जिसके खाने से प्रमाद या कामविकार बढ़ता है वे प्रमादकारक अभक्ष्य है जो स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है जैसे – शराब, भंग, तम्बाकू , गांजा और अफीम आदि नशीली चीजे | जो पदार्थ भक्ष्य होने पर भी अपने लिए हितकर नहीं वह अनिष्ट है तथा जो पदार्थ सेवन योग्य नहीं है वह अनुपसेव्य है जैसे – लार, मूत्र आदि पदार्थ |