राजा उग्रसेन का पुत्र | मथुरा का क्रूर राजा |
१. कंस अपने पूर्वभव में वशिष्ट नाम के यहा तपस्वी दिगम्बर मुनिराज थे एक बार वे बिहार कर मथुरा आए तब राजा प्रजा से पूजित वे मुनि एक माह का उपवास कर तपस्या कर रहें थे, राजा ने घोषणा कि प्रजा उन्हें पारणा न कराए अपितु मैं कराऊगा लेकिन आवश्यक कार्य वश भूल गया, ऐसा कई बार हुआ तब वे मुनि श्रम से पीड़ित हो वापस जंगल कि ओर चले जाते | एक बार नगखासियों के मुख से सारी कथा जान राजा के प्रति विद्वेष कर उन्होंने निदान किया कि मैं मरकर उनका पुत्र होऊ और निदान के फलस्वरूप वैसा ही हुआ , वे मुनि पथभ्रष्ट हो मिथ्यादृष्टि हो गये और मरकर रानी पद्मावती के गर्भ में आए | गर्भ में आते ही रानी को अपने पति का पेट फाड़कर खून का दोह्ला हुआ तब पापी बालक जान जन्म होने पर राजा ने उसे कांषे की मंजूबा में बन्द कर यमुना में डलवा दिया | यह बालक कौशाम्बी में मदिरा बेचने वाली मज्जोदरी के घर पला और कुमार वसुदेव का शिष्य बना पुनः किसी समय राजा जरासन्ध की पुत्री से विवाह की बात आने पर उसे अपने वास्तविक माता पिता का पता लगा तब इसका जीवग्राशा से विवाह हो गया और वह मथुरा का राजा बन गया पुनः पिता से युद्ध कर उन्हें बंदीगृह में डाल दिया | दिगम्बर मुनि द्वारा अपने मरण का कारण जान अपनी बहन देवकी के छः पुत्रों को मार डाला अन्त में देवकी के सातवें पुत्र नारायण श्रीकृष्ण द्वारा मारा गया |
२. एक ग्रह
३. तोल का एक प्रमाण |
४. श्रुतावातार के अनुसार आप पांचवे |
||अंगधारी आचार्य थे ||