राजा उग्रसेन का पुत्र । मधुरा का क्रूर राजा ।
कंस अपने पूर्वभव में वशिष्ठ नाम के महातपस्वी दिगम्बर मुनिराज थे एक बार वे विहार कर मधुरा आए तब राजा प्रजा से पूजित वे मुनि एक माह का उपवास कर तपस्या कर रहे थे, राजा ने घोषणा की कि प्रजा उन्हें पारणा न कराए अपितु मै कराऊंगा लेकिन आवश्यक कार्यवश भूल गया, ऐसा कई बार हुआ तब वे मुनि श्रम से पीड़ित हो वापस जंगल की ओर चले जाते । एक बार नगरवासियों के मुख से सारी कथा जान राजा के प्रति विद्वेष कर उन्होनें निदान किया कि मै मरकर उनका पुत्र होऊं और निदान के फलस्वरूप वैसा ही हुआ, वे मुनि पथभ्रष्ट हो मिथ्यादृष्टि हो गये और मरकर रानी पद्मावती के गर्भ में आए । गर्भ में आते ही रानी को अपने पति का पेट फाड़कर खून पीने का दोहला हुहा तब पापी बालक जान जन्म होने पर राजा ने उसे कांषे की मंजूबा में बन्द कर यमुना में डलवा दिया । यह बालक कौशाम्बी में मदिरा बेचने वाली के घर मज्जोदरी के घर पला और कुमार वसुदेव का शिष्य वना पुन: किसी समय राजा जरासन्ध की पुत्री से विवाह की बात आने पर उसे अपने वास्तविक माता पिता लगा तब इसका जीवद्यशा से विवाह हो गया और वह मथुरा का राजा बन गया पुन: पिता से युद्ध कर उन्हें बन्दीगृह में डाल दिया । दिगम्बर मुनि द्वारा अपने मरण का कारण जान अपनी बहन देवकी के छ: पुत्रों को मार डाला अन्त में देवकी के सातवें पुत्र नारायण श्री कृष्ण द्वारा मारा गया ।
२ एक ग्रह
३ तोल का एक प्रमाण
४ श्रुतावतार के अनुसार आप पांचवें । ।अंगधारी आचार्य थे ।