पंचपरमेष्टियो मे आचार्य, उपाध्याय और साधु याह तीन परमेष्ठी वर्तमान मे है यह तीनों परमेष्ठी पिच्छी और कमण्डलु से सहित है अर्थात जैनधर्म मे दिगम्बर साधु – साध्वी का चिन्ह मयूर पंख की पिच्छिका और कमण्डलु तथा शास्त्र होते है | दिगम्बर साधु पूर्णत: निस्पृही, विषयों की आशा से रहित, सम्पूर्ण आरम्भ और परिग्रह के त्यागी होते है और उनके पास जीवों की रक्षार्थ पिच्छी, शुद्धि का उपकरण कमण्डलु एवं स्वाध्यायादी के लिए शास्त्र होता है जिसे श्रावक प्रदान करता है तो अतिशायि पुण्य का भागी होता है |
शास्त्र मे दान का वर्णन करते हुए कहा है कि रत्नत्रय धारक मुनियों को नवधाभक्ति पूर्वक आहार तथा ज्ञान व संयम के उपकरण शास्त्र, पिच्छी व कमण्डलु देना चाहिए जो पात्रपत्ति दान मे आता है | यह कमण्डलु काष्ठ निर्मित होता है |