Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
कर्तव्य :!
November 27, 2015
शब्दकोष
jambudweep
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] ==
कर्तव्य :
==
मा होह कोवणा भो खलेसु मित्त च मा कुणह।।
—कुवलयमाला : ८५
हे मानव ! जीवों को मत मारो, उन पर दया करो, सज्जनों को अपमानित मत करो, क्रोधी मत होओ और दुष्टों से मित्रता न करो।
धम्मम्मि कुणह वसणं राओ सत्थेसु णिउणभणिएसु। पुणरुत्तं च कलासु ता गणणिज्जो सुयणमज्झे।।
—कुवलयमाला : ८५
शास्त्रों में, विद्वानों के वचनों में अनुराग करो एवं धर्म का अभ्यास करो एवं कलाओं का बार—बार पुनरावर्तन करो, तब सज्जनों के बीच में गिनने योग्य होवोगे।
थोवं थोवं धम्मं जइ ता बहुं न सक्केह। पेच्छह महानईयो बिन्दूहिं समुद्दभूयाओ।।
—अर्हत्प्रवचन : १९-१४
यदि अधिक न कर सको तो थोड़ा—थोड़ा ही धर्म करो। बूँद—बूँद से समुद्र बन जाने वाली महानदियों को देखो।
Tags:
Suktiya
Previous post
कर्म :!
Next post
आत्मानुभव :!
Related Articles
अपमान :!
November 27, 2015
jambudweep
धर्म का महत्व!
June 24, 2017
jambudweep
अधर्म द्रव्य :!
November 27, 2015
jambudweep
error:
Content is protected !!