व्यायाम या कसरत से आपके लिए इतने कमाल के काम संभव हो जो हैं कि आपको शायद उनकी जरा भी जानकारी न हो। तनाव, घटता बढ़ता वजन, अवसाद, मांसपेशियों में खिचाव, बोरियत और दिल को दुरूस्त रखने जैसी समस्याओं का यह साधारण समाधान है। इससे आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और आत्मवलोकन क्षमता का निर्माण होता है। व्यायाम के विषय में अधिकांश लोगों को यह शिकायत रहती है कि यह बोरियत भरा होता है, साथ ही चोट—चपेट का खतरा भी बना रहता है। यदि आप भी यही मानते हैं तो इसका मतलब यही हुआ कि आपने अभी तक पर्याप्त प्रभावी गतिविधियों का चयन नहीं किया जिनमें से कोई आपको खूब जंचे। वास्तव में कुछ लोग यूं ही हाथ—पैर चलाते हैं पर अपने शरीर सुधार के प्रति कुछ भी नहीं या थोड़ा कुछ ही कर पाते हैं चूंकि वे उचित व्यायाम के लाभों से अनभिज्ञ होते हैं। व्यायाम से यह मतलब कतई नहीं कि आपको दौड़ लगानी है या पहाड़ चढ़ना है। सभी अनुसंधानों का निष्कर्ष यही है कि नियमित व्यायाम जिससे पसीना आ जाये या सांस थोड़ी तेज होने लगे, स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। सप्ताह में पांच दिन प्रतिदिन ३० मिनट इस प्रकार का व्यापक व्यायाम स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। नियमित व्यायाम से आप सप्ताह भर में ही अपने शरीर में स्पूर्त का अनुभव कर सकते हैं परन्तु तेज चलने, तैरने या साइकिल चलाने से पहले डाक्टरी सलाह जरूर लें। प्रतिदिन व्यायाम का समय निर्धारित रखें। स्वभाव बना लें कि प्रात:काल इसका श्रेष्ठतम समय है। व्यायाम का समय धीरे—धीरे बढ़ायें। व्यायाम खाली पेट करना चाहिए और कपड़े ढीले व आरामदायक होने चाहिए। व्यायाम नियमित करें न कि जब मन करे तब । नियमित्ता महत्वपूर्ण है। बीमरी या थकान की स्थिति ही अपवाद हो सकती है। यदि व्यायाम के दौरान व्यवधान पड़े तो दोबारा शुरू से चालू करें न कि बीच में। यदि बुखार हो तो व्यायाम न करें। मधुमेह के रोगी अगर अधिक समय तक, अधिक शक्ति से व्यायाम करते हैं तो संभव है कि ब्लडशुगर की मात्रा कम हो जाये, अत: सदा कुछ बिस्कुट या चीनी साथ रखो। और हाँ, अगर आप मधुमेह नियन्त्रण के लिए इंसुलिन या गोलियों का सेवन करते हैं तो अधिक व्यायाम से संभावना है कि आपका ब्लडशूगर बहुत कम हो जाये। अगर आपको पसीना खूब आये या देखने में कठिनाई हो तो यह हाइपोग्लाइसीमिया या लो ब्लडशुगर के कारण हो सकता है। जिन लोगों को जोड़ों में दर्द रहता है उनके लिए जरूरी है कि बैठे—बैठे वे अपने हाथ—पैर हिलायें तथा बिस्तर पर लेटे—लेटे ही कसरत कर सकते हैं। व्यायाम मस्तिष्क के कुछ हिस्सों पर प्रभाव दिखाता है जो यह निर्धारित करते हैं कि आपका मूड कैसा है। शुरुआत में आप कितना भी बुरा महसूस करें लेकिन एक अच्छी दौड़, तैराकी, साइकिल की सवारी अथवा तेज पैदल चलने से ही आप खुशनुमा हो जाएंगे। यदि यह सब पढ़ आप वास्तव में उसे शुरू करेंगे तो यकीनन और बेहतर महसूस करेंगे।