आज व्यक्ति दृष्टि को नहीं सृष्टि को बदलना चाहता है, किन्तु सृष्टि को आजतक न तो कोई बदल सका है और न कोई बदल सकेगा। सृष्टि, दृष्टि पर आधारित है। दृष्टि सम्यक है तो सृष्टि भी सम्यक होगी और मिथ्या दृष्टि के लिये तो सृष्टि भी मिथ्या ही होती है। दृष्टि शुभ होती है और अशुभ भी। जब कोई व्यक्ति अच्छी दृष्टि से या नेह दृष्टि से किसी को देखते हैं तो सामने वाला भी आनंदित हो जाता है भली दृष्टि अपना भला प्रभाव छोड़ती है। प्रेमपूर्वक किसी पशु को भी देखा जाये तो वह भी मित्र बन जाता है। किसी जीव को वात्सल्यपूर्वक दृष्टि से देखा जाये तो अंतर में आनन्द की अनुभूति होती है। वात्सल्यपूर्वक दृष्टि और आशीर्वाद भव्य जीवों के शारीरिक रोगों का ही शमन नहीं करती वरन मानसिक शांति एवं आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त होता है। अच्छी दृष्टि वरदान स्वरूप होती है और कुदृष्टि अभिशाप स्वरूप कुद्धिष्ट का प्रभाव आज मनुष्यों पर नहीं पशु पक्षियों पर भी पड़ता है। कई बार तो यहां तक देखा जाता है कि वृक्षों, भवनों, उपकरणों तक को नजर लग जाती है। जिसके प्रभाव से वे नष्ट—भ्रष्ट या खण्डित हो जाते हैं।
नजर लगने के कारण
जिस व्यक्ति को नजर लगी होती है, तो उसका सिर भारी होता है, या सीना भारी होता है, आँखों में जलन होना या मदाग्नि होना, भूख कम लगना, शरीर मिट्टी जैसा हो जाना, किसी कार्य में मन नहीं लगना, शरीर में पाप होना कंपन पैदा होना, घबराहट होना भयभीत होने, मस्तिष्क बंधा हुआ सा प्रतीत होना, किसी कार्य में मन नहीं लगना, उत्साह व उमंग व उल्लास खत्म हो जाना, रुचिकर पदार्थो व कार्यो में भी रुचि न होना, दवाई का कोई असर नहीं होना इत्यादि लक्षण है। जिन बालकों नजर लगी हुई है। उनका मन पढ़ने में नहीं लगता, विषय याद नहीं होता, आंखों के सामने अंधेरा हो जाना, आंखों का भारी हो जाना, दस्त लग जाना उल्टी हो जाना, बुखार आ जाना, सीने में दर्द सारे बदन में दर्द, शरीर में थकान नींद पर नींद आने, बेहोश पड़े रहना, कण्ड का अवरुद्ध होना, आंखों में आंसू ही आंसू गिरना, आंखों का लाल व सूर्ख हो जाना या आंखे चढ़ी—चढ़ी सी दिखना इत्यादि लक्षण बच्चों में नजर लगने के होते हैं। पशुओं व पक्षियों में भी यथा सम्भव यही लक्षण होते हैं, वृक्षों का मुरझा जाना, टूट पड़ना, सूख जाना, फल नहीं आना, फलों का झड़ जाना, पुष्प नहीं लगना झड़ जाना, गिर पड़ना, विकसित नहीं होना भी नजर के प्रभाव है। भवन का गिर जाना, कार्य में विघ्न आना, वाहनों का दुर्घटना ग्रस्त होना, उपकरणों का सही कार्य नहीं करना, टूट जाना, बर्तनों का रखे—रखे टूट जाना या अन्य आश्चर्यजनक घटनायें नजर लगने की होती है, कई बार दुकान फैक्ट्री व्यवसाय, खेती हस्त कला, लेखन कला, चित्रकला, शिल्पकला, नृत्य कला, प्रवचन कला, अभिनय कला, अप्रितम सौन्दर्य आदि को भी नजर लग जाती है। जिससे उनका प्रभाव विपरीत अथवा अनुचित हो जाता है या वे उस प्रकार की विशेषता से रहित हो जाती है। इन सभी पदार्थो में नजर लग जाती है तो उसे दूर करने के लिये निम्न उपायों को प्रयोग में लाना चाहिये।
नजर से बचने के उपाय
प्राय: हर माँ अपने बालक बालिकाओं को शृंगार करते समय सिर पर एक काला टीका (ढटौना) लगा देती है जिससे नजर नहीं लगती है। बच्चों के गले में या कमर में काला धागा बांधना चाहिये। बच्चों के तलवों में या हथेली पर काला टीका लगा देना चाहिये। मस्तिष्क में मन्दिर जी चंदन से नव तिलक लगाने, या क्षेत्रपाल का सिंदूर लगायें। सर्वरक्षा मंत्र का भोजपत्र पर लिखकर ताबिज में बांध कर धारण करना। महामंत्र णमोकार या विनायक मंत्र को ताबीज में रखकर गले में या हाथ में बांधना। नित्य वज्रपंजर स्तोत्र या जैन रक्षा स्तोत्र या रक्षाकवच स्तोत्र का पाठ करना। नूतन मकान पर काली हांडी टांगना या काली झण्डी लगाना, या कहीं काला निशान लगाना या उल्टा स्वास्तिक बनाना। वाहन पर जूता टांगना, या काली तस्वीर लगाना या कोई काला निशान लगाना। मूर्ति आदि पर काली पट्टी बांधना या काला धागा या वस्त्र डाल देना। वाहन में दृष्टिदोष मंत्र को रखना या जिनेन्द्र भगवान की या पंच परमेष्ठी की तस्वीर रखना। दुकान पर नीबू या हरी मिर्च टांगना। किसी जिन शासन के देवता की तस्वीर टांगना। दुकान भवन या फैक्टरी की दीवाल पर दृष्टि आदि दोषनाशक यंत्र बनाना। भवन के मुख्य दरवाजे के दोनों ओर घंटाकर्ण या क्षेत्रपाल या यक्ष—यक्षिणी के यंत्र बनाना मुख्य द्वार पर जिनेन्द्र मूर्ति की स्थापना करना। भवन की राशि या भवन मालिक के नाम के अनुसार विशिष्ट अंकों से निर्मित यंत्र बनाकर स्थापित करना। भवन की ईशान नैत्रत्व दिशा के समग्र दोषों को दूर कर देना, भवन के ईशान कोण में पूजा ग्रह कोण में मूल या कल्पित ग्रह स्वामी की स्थापना करना। भवन के मुख्य द्वार के ऊपर तांबे के ध्वजा लगाना एवं प्रवेश द्वार पर बंदन बार तवा तोरण द्वार लगाना। भवन में प्रवेश करते ही प्रमुख कक्ष में दर्पण, मंगल कलश, स्वास्तिक घंटियों को रखना। मिट्टी के मटके को काला पोत करके मकान पर टांगने से भवन को नजर नहीं लगती है। मंत्रोचारण पूर्वक एवं पूर्णविधि पूर्वक रक्षासूत्र हाथ में बांधने से बालकों को नजर नहीं लगेगी।
नजर उतारने (निवारण) के उपाय
डंठल सहित ७ लाल मिर्च ९,११,२१ बार उतारकर अग्नि में डाल देने पर नजर उतर जाती है। भूसी, नमक की सात कंकड़ी नजर वाले व्यक्ति पर सात बार उतारकर अग्नि में डालने से नजर उतर जाती है। काले कपड़े की सातधजी लेकर णमोकार मंत्र पढ़कर उतारकर अग्नि में डालने से नजर उतर जायेगी। सरसों के तेल मूंज या कपास की बत्ती बनाकर उसे दीपक आरती की तरह उतारकर थाली के पानी में उसे (रस्सी को) चिमटा पकड़कर सामने किये रहे सारी नजर बूँद—बूँद कर उतर जायेगी। लोहवान, गुग्गल, गंधक उतारकर अग्नि में डालकर भी नजर उतारी जाती है। नींबू को उतारकर चार टुकड़े कर चारों दिशाओं में फैक दें नजर उतर जाती है। दूध को २७ बार महामंत्र पढ़कर ३ बार उतारे, वह दूध गाय या कुत्ते को पिला दें नजर उतर जायेगी। आटे के लड्डू दूध में बनाये, महामंत्र या जो मंत्र सिद्ध हो उसे २७ बार पढ़कर उतारें, गाय को खिला दें या जंगल में रख दे नजर उतर जायेगी। लौंग अजवाईन, नमक, काली मिर्च उड़द, काले तिल आदि की काले कपड़े की पोटली बाँधकर २७ बार महामंत्र पढ़कर उतारें अग्नि में डाल दें नजर पूरी तरह उतर जायेगी। एक बार में न उतरे तो दूसरी बार उतारें और दूसरी में भी पूरी न उतरे तीसरी बार पुन: उतारना चाहिए। मंगल, बुध, शुक्र, शनि को नजर अच्छी तरह से उतर जाती है। आवश्यक हो तो किसी भी दिन उतार सकते हैं इतना विशेष ध्यान रखें कि संधिकाल में उतारें। संधिकाल का अर्थ है सूर्यास्त या सूर्योदय के समय उतारें। इमली के तीन टहनी माथे से उतार कर अग्नि में बुझा दें, उस पानी को भी नजर के रोगी को पिला दे नजर उतर जायेगी। नीम के पत्तों से झाड़ा देते जायें, महामंत्र, ऋषी मण्डल मंत्र, या घंटा कर्ण आदि सिद्ध मंत्रों को १०८ बार पढ़ते जाये नजर पूरी तरह से उतर जायेगी। सात, हाथ, प्रमाण सूत्र, विधिपूर्वक उतार कर जला दियाजाये नजर उतर जायेगी। खाद्यान्न पदार्थ जो पदार्थ भोजन में ग्रहण किया है उसे उतार कर गाय को खिला दें तो नजर उतर जायेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में, मूसल, पुराना जूता, सूपा, मार्ग की धूल, जूते की कील आदि से भी नजर उतारी जाती है। नजर लगे व्यक्ति की गुलाब की सात पाखुडियों खिलाने से भी नजर उतर जाती है। अपने सिद्ध मंत्र (जिसकी संकल्प पूर्वक आगनुसार कम से कम सवालाख जाप किये हों को २७ बार पढ़कर सिर पर हाथ पेâरें नजर उतर जायेगी। नजर लगे व्यक्ति को लिटाकर फिटकरी का टुकड़ा सिर से पांव तक सात बार उतारे, ध्यान रखें हर बार सिर से पांव तक ले जाकर तलवे छुआकर फिर सिर से घुमाना शुरू करें इस फिटकरी के टुकड़े को कण्डे की आग में डाल दें। राई के कुछ दाने, नमक की डाली और सात साबुत डंठल वाली लाल सूखी मिर्ची बाएं हाथ की मुट्ठी में लेकर नजर लगे व्यक्ति को लिटाकर सिर से पाँव तक सात बार उतारा करें और जलते हुए चूल्हे में झोंक दे यह टोटका अनटोका करें। यह कार्य मंगलवार व शनिवार के दिन करें तो बेहतर रहता है। यदि बच्चे को नजर लगी हो और वह दूध नहीं पी रहा हो तो थोड़ा दूध एक कटोरी में लेकर बच्चे के ऊपर से सात बार उतार कर कुत्ते को पिला दे। बच्चा दूध पीने लगेगा। महामंत्र, शांति मंत्र, ऋषि मण्डल या घंटा कर्ण या जिन शासन देवों को पढ़कर कोई साधक श्रावक सिर पर हाथ पेâरे तो भी नजर उतर जायेगी। पाँच वर्ण का मीठा नजर वाले व्यक्ति पर उतारकर वृक्ष के नीचे रख दें नजर उतर जायेगी। पूजा की सामग्री अगरबत्ती, सिन्दूर आदि के उतारकर वृक्ष के नीचे रख दें नजर उतर जायेगी।