प्रत्येक सरोवर के पूर्व और पश्चिम दिग्भाग में १०० योजन ऊँचे दस-दस कांचन पर्वत हैंं। ये पर्वत मूल में १०० योजन मध्य में ७५ योजन एवं शिखरतल में ५० योजन प्रमाण हैं। ये कांचन पर्वत मूल में व ऊपर चार तोरण वेदियों, वन उपवनों और पुष्करिणियों से रमणीय है। इन पर मध्य के प्रासाद में कांचन नामक देवों के निवास हैं।
विद्युत सरोवर से उत्तर की ओर २०९२-२/१९ योजन जाकर एक योजन ऊँची, अर्धकोस विस्तृत पूर्व पश्चिम भाग में गजदंत पर्वतों से संलग्न दिव्यवेदी है। यह वेदी मार्ग, अट्टालिका, तोरण द्वार एवं द्वारों के उपरिम भागों में जिनभवनों से परिपूर्ण हैं।