यह काकंदी तीर्थ जैनधर्म के नवमें तीर्थंकर भगवान पुष्पदंतनाथ की जन्मभूमि से पवित्र तीर्थ है। यहाँ पर शताब्दियों से एक लघुकाय मंदिर बना हुआ है, जिसका जीर्णोद्धार समय-समय पर होता रहा है। मंदिर की वेदी में ५ प्रतिमाएँ विराजमान थीं जिनकी दो बार में चोरी हो गई। दुर्भाग्य से सन् २००४-२००५ में मंदिर की वेदी बिना भगवान के रह गई। जिससे यह तीर्थ अत्यन्त उपेक्षित हो गया तथा यात्रियों का भी आना-जाना इस तीर्थ पर नहीं रह गया। संयोग की बात है कि गोरखपुर जैन समाज के पदाधिकारीगण कई बार पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के पास हस्तिनापुर निवेदन करने के लिए गये कि पूज्य माताजी आपकी प्रेरणा से अनेक तीर्थंकर जन्मभूमियों का विकास किया जा रहा है। इसी क्रम में आप भगवान पुष्पदंतनाथ की जन्मभूमि काकंदी को भी अपने हाथ में लेकर विकास करा कर हम लोगों की भावना पूरी कर दें। पूज्य माताजी ने भक्तों के निवेदन पर विचार करके तीर्थंकर जन्मभूमि विकास कमेटी के अध्यक्ष कर्मयोगी ब्र.रवीन्द्र कुमार जैन-हस्तिनापुर को आज्ञा दी कि एक बार जाकर कावंâदी की स्थिति देखकर और किस प्रकार उसका विकास किया जा सकता है, निर्णय करो। माताजी की आज्ञा पाकर हस्तिनापुर से ब्र.रवीन्द्र कुमार जैन तथा साथ में दिल्ली से श्री अनिल कुमार जैन अक्टूबर २००५ में काकंदी की स्थिति को देखने गये। साथ में गोरखपुर जैन समाज के पदाधिकारी भी रहे। तीर्थ की स्थिति को देखकर अत्यन्त खेद हुआ कि जिस स्थान पर तीर्थंकर भगवान ने जन्म लिया था। आज उस स्थान का मंदिर अत्यन्त जीर्ण-शीर्ण हो चुका है तथा अराजकतत्त्वों द्वारा प्रतिमाएँ भी चोरी कर ली गई हैं। ऐसी स्थिति में इस तीर्थ का विकास अवश्य होना चाहिए। सारी स्थिति की जानकारी पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी को दी गई। उसी समय यह निर्णय लिया गया कि यहाँ पर नवमें तीर्थंकर भगवान पुष्पदंतनाथ की ९ फुट उत्तुंग पद्मासन विशाल प्रतिमा और एक विशाल जिनमंदिर का निर्माण किया जाये। योगायोग से शरदपूर्णिमा २००५ को पूज्य माताजी के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर हस्तिनापुर में अनेक भक्तगण आये हुए थे। उसी समय इस संदर्भ में पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी, प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी एवं पीठाधीश क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी महाराज के सान्निध्य में एक बैठक हुई। बैठक में भक्तों को कावंâदी में मंदिर एवं प्रतिमा निर्माण की प्रेरणा दी गई। उसी समय पूज्य माताजी के भक्त श्री राजकुमार जैन ‘वीरा बिल्डर्स’, दिल्ली ने मंदिर निर्माण एवं प्रतिमा निर्माण की स्वीकृति प्रदान कर दी। यहीं से तीर्थ विकास का क्रम प्रारंभ हो गया और मंदिर निर्माण का शिलान्यास नवम्बर २००५ में श्री राजकुमार जैन ‘वीरा बिल्डर्स’ के द्वारा लगभग ५०० लोगों की उपस्थिति में सम्पन्न कराया गया। पश्चात् दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान हस्तिनापुर एवं श्री पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन सोसायटी गोरखपुर के पदाधिकारियों की एक संयुक्त बैठक हस्तिनापुर में हुई, जिसमें तीर्थ विकास एवं उसके संचालन हेतु एक कमेटी का गठन किया गया, जिसका नाम-‘‘भगवान पुष्पदंतनाथ जन्मभूमि काकंदी दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी’’ रखा गया तथा यह निर्णय हुआ कि इस कमेटी द्वारा इस तीर्थ का विकास तथा संचालन किया जायेगा। देखते ही देखते यहाँ पर यह विशाल मंदिर एवं सवा ९ फुट उत्तुंग ग्रेनाइट पाषाण की भव्य प्रतिमा तथा कीर्तिस्तंभ का निर्माण हो गया तथा इसकी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव भी प्रभावना के साथ तिथि-ज्येष्ठ शुक्ला छठ से दशमी, वीर निर्वाण संवत् २५३६, विक्रत संवत् २०६७, दिनाँक १७ जून से २१ जून २०१० तक पूज्य पीठाधीश क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी महाराज के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ। मंदिर एवं प्रतिमा निर्माण का पुण्य श्री राजकुमार जैन ‘वीरा बिल्डर्स’-दिल्ली एवं कीर्तिस्तंभ निर्माण का पुण्य संघपति श्री महावीर प्रसाद जैन-दिल्ली को प्राप्त हुआ । अब हमारी यही भावना है कि यह तीर्थ अन्य तीर्थों के समान अपनी कीर्ति पताका दिग्दिगंत व्यापी करे तथा आने वाले धर्मानुरागी बंधुओं को तीर्थ के दर्शन से सम्यक्दर्शन की प्राप्ति होती रहे। इस तीर्थ के विकास में पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का आशीर्वाद एवं उनके उपकार को समाज कभी भूल नहीं सकेगा तथा हम सभी पदाधिकारी मिलकर इस कमेटी के द्वारा तीर्थ का निरंतर विकास करते रहें एवं पूज्य माताजी का मार्गदर्शन तीर्थ विकास हेतु हमें प्राप्त होता रहे, यही मंगल कामना है ।