कान मनुष्य के श्रवण यंत्रा वाले भाग को कहा जाता है। यह भाग बहुत ही संवेदनशील एवं नाजुक होता है । इसमें नहाते समय पानी भरने से मैल जमने मवाद निकलने व दर्द होने से दैनिक जीवन एवं क्रियाकलाप दूभर हो जाता है। कान, नाक एवं गले से संबंधित बीमारियां एक दूसरे से जुडी होती हैं इसीलिए इससे संबंधित डॉक्टर को ई.एन.टी. चिकित्सक के रूप में प्रसिद्धि मिलती है। कान में दर्द, मवाद निकलने एवं मैल जमने की परेशानी प्राय: सबको होती है। नहाते समय असावधानी के चलते इसमें पानी भरता है। संक्रमण होता है। कान के सभी मामलों में श्रवण क्षमता प्रभावित होती है। कान में मैल के जमने पर उसे निकालना कठिन हो जाता है इसीलिए कान से सदैव मैल निकालते रहने की सलाह दी जाती है, कान साफ रखने की सलाह दी जाती है किंतु जापान के ईयर सैलून का निष्कर्ष है कि कान में थोड़ी मैल होनी चाहिए क्योंकि यह बाहरी संक्रमण से बचाती है।