कालोदधि समुद्र का व्यास ८ लाख योजन का है। यहाँ पर ४२ सूर्य एवं ४२ चन्द्रमा हैं। यहाँ पर ५१० योजन प्रमाण वाले २१ गमन क्षेत्र अर्थात् वलय हैं। यहाँ पर भी प्रत्येक वलय में २-२ सूर्य एवं चन्द्र तथा उनकी १८४-१८४ एवं १५-१५ गलियाँ हैं। मात्र परिधियाँ बहुत ही बड़ी-बड़ी होने से गमन अतिशीघ्र रूप होता है।
धातकी खण्ड की अन्तिम तट वेदी से १९०४७ योजन जाकर प्रथम सूर्य का प्रथम वलय है। वहाँ योजन प्रमाण सूर्य बिम्ब के प्रमाण को छोड़कर आगे ३८०९४ योजन जाकर द्वितीय सूर्य की प्रथम गली है। अनंतर इतने-इतने अन्तराल से ही २१ वलय पूर्ण होने पर १९०४७८ योजन जाकर कालोदधि समुद्र की अन्तिम तट वेदी है। अत: २१ वलयों के अन्तरालों का (प्रत्येक ३८०९४ योजन प्रमाण वाली) तथा वेदी से प्रथम वलय एवं अन्तिम वलय से अन्तिम वेदी का १९०४७ योजन प्रमाण एवं २१ बार सूर्य बिम्ब के योजन प्रमाण का जोड़ करने से ८,००,००० योजन प्रमाण विस्तार वाला कालोदधि समुद्र है।