जिनशासन के श्रद्धालु भक्तों!
अनन्तानन्त तीर्थंकर भगवन्तों की जन्मभूमि शाश्वत तीर्थ अयोध्या में वर्तमान युग के चौबीस तीर्थंकरों में से भगवान ऋषभदेव आदि पाँच तीर्थंकरों ने जन्म लिया है।
करोड़ों वर्ष प्राचीन इस इतिहास को सन् १९९३ में जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी पूज्य भारतगौरव गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी ने व्यापक रूप में समाज के समक्ष प्रस्तुत किया।
बंधुओं! अपने दीक्षित जीवन के ४० वर्षों बाद जब प्रथम बार पूज्य माताजी हस्तिनापुर से अयोध्या पधारीं तो तीर्थ की जीर्ण-शीर्ण हालत देखकर १६ जून १९९३ को भगवान ऋषभदेव जन्मस्थल टोंक पर उनकी आँखों से अविरल अश्रुधारा बह निकली थी। उन पवित्र आंसुओं ने आज अयोध्या का वैâसा कायाकल्प कर दिया है, यह सुनें आप काव्य कथानक के माध्यम से-
तर्ज-तेरी दुनिया से दूर…….
आंसू बन गये वरदान, अयोध्या का हुआ नाम,
वे आंसू याद रखना-२।।टेक.।।
सुनो भाई-बहनों! सन् उन्निस सौ तिरानवे में।
सोलह जून की तारीख आई थी…तारीख आई थी….
उस दिन हस्तिनापुर से ज्ञानमती माताजी अयोध्या आई थीं,
अयोध्या आई थीं…..प्रभू के पास आई थीं।
ऋषभदेव टोंक पर, माँ के आंसू गिरे तब,
वे आंसू याद रखना-२।।१।।
अपनी अश्रुधारा से, ऋषभदेव का पद प्रक्षाल कर दिया,
प्रक्षाल कर दिया-मन का भाव कह दिया।
अयोध्या में तब अपने प्रभु के निकट ही।
चौमास कर लिया, चौमास कर लिया।।
दो-दो मंदिर के निर्माण, हुए उनके पंचकल्याण,
वे आंसू याद रखना-२।।२।।
ऋषभदेव प्रभुवर का मस्तकाभिषेक प्रथम बार हो गया,
प्रथम बार हो गया प्रचार हो गया।
उसके बाद पाँचों तीर्थंकर की टोंकों पर नवनिर्माण हो गया,
निर्माण हो गया, नवनिर्माण हो गया।
माँ की प्रेरणा का फल, भक्ति के हैं ये स्थल।
वे आंसू याद रखना-२।।३।।
माताजी के ओपेन एण्ड साइलेंट टीयर्स ने कमाल कर दिया,
कमाल कर दिया, इक इतिहास रच दिया।
वह तो रोईं लेकिन अयोध्या जी तीरथ को खुशहाल कर दिया,
खुशहाल कर दिया, और मालामाल कर दिया।।
वहाँ प्राचीन इतिहास, नया बन गया है आज,
वे आंसू याद रखना-२।।४।।
ऋषभदेव प्रभुवर के मोक्षगामी पुत्रों का इतिहास बताया,
इतिहास बताया, सभी को शास्त्र दिखलाया।
इक सौ एक पुत्रों के जिनमंदिर का शिलान्यास करवाया,
शिलान्यास करवाया, शांतिकेन्द्र बनवाया।।
चक्रवर्ती भरतराज, के मंदिर का शिलान्यास,
वे आंसू याद रखना-२।।५।।
भक्तों! जब-जब तुम भी अयोध्या शाश्वत तीरथ की,
वंदना करना, हाँ वंदना करना, रज को मस्तक पर धरना।।
वर्ल्ड पीस सेंटर में जाकर के क्षण दो क्षण,
मन में चिन्तन करना,
मन में चिन्तन करना, माँ का सुमिरन करना।।
‘‘चन्दनामती’’ यह राज, माँ के आंसू का इतिहास।
वे आंसू याद रखना-२।।६।।