व्यन्तर देवों का एक भेद
चतुर्णिकाय के देवों में व्यन्तर देवों का वर्णन आता है जिसमें एक किन्नर देव भी है। गान में रति करने वाले किन्नर कहलाते है इन किन्नर देवों के भी दस भेद है – किंपुरूष, किन्नर, हृदयंगम, रूपपाली, किन्नरकिन्नर, अनिन्दित, मनोरम, किन्नरोत्तम, रति प्रिय और ज्येष्ठ ।
यह पवित्र वैक्रियक शरीर के धारक होते है तथा कभी भी अशुचि औदारिक शरीर वाले मनुष्य आदि की कामना नहीं करते । अनन्तनाथ भगवान के शासन यक्ष का नाम किन्नर देव है ।