(a) ”हल्दी पावडर में पीली मिट्टी और मक्का का स्टार्च” — परखनली में 2 ग्राम हल्दी पावडर लेकर 10 मिली पानी में डालें व कुछ अन्य बूंदे उसमे सान्द्र नमक का अम्ल (HCL) की डालें ” लाल जामुनी रंग आएगा और फिर पानी डालने पर रंग वापस चला जाएगा ” लाल रंग आने पर हल्दी में पीली मिट्टी की मिलावट भी संभावित है |
(b) ”लाल मिर्च पावडर में ईट का चूरा व रेत” — परखनली में 2 ग्राम मिर्च पावडर लेकर 10 मिली क्लोरोफार्म और कार्बन ट्रेटाक्लोराइड का मिश्रण डालें” ईट का चूरा और रेत आदि की मिलावट नीचे बैठ जाएगी |
(c) ”धनिया पावडर में घोड़े की लीद तथा लकड़ी का भूसा” — लगभग 5 ग्राम धनिया पावडर को पानी में डाले,मिलावटी लीद व भूसा पानी के ऊपर तैरने लगेंगे |
(d) ”बाहरी रंग : हल्दी अथवा पिसी मिर्चो में” —पिसे हुए चूरे को कुछ मात्रा में एक ग्लास पानी में ऊपर डालें ” मिलावटी रंग पानी में घुल जाएगा |
(e) ईथर में पिसी मिर्च मिलाएं” उसका सत निकालें ” हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालें” गहरा पीला रंग हो जाएगा |
(f) ”नमक में बालू के कण , मिट्टी तथा अन्य बाहरी पदार्थ” — एक ग्लास पानी में उसे डालें ” शुद्ध नमक तो पूरा घुल जाएगा ” बाहरी पदार्थ नीचे तह में जम जाएगा |
(g) ”बालूकण ” — कार्बन ट्रेटाक्लोराइड में घुल जाते है और पानी में मसाले तैरने लगते है तथा मिट्टी के कण नीचे बैठ जाते है |
(h) ”राल, गोंद या रंग हींग में” — शुद्ध हींग पानी में घुल जाएगी और दूधिया घोल बनाएगी” आग में जलाने से शुद्ध हींग की लौ चमकीली होती है|
इलायची का तेल निकाला जाता है ” यह फिर ताजा लगे, अतः इसे अबरख के चूरे से भुरक दिया जाता है” यह पावडर उंगलियों पर लग जाता है ” चखने पर मधुर लगे तो जाहिर है कि इससे तेल अथवा सत निकल लिया गया है|
(a) ”पत्थर के टुकड़े चावलों में” — चावलों को हथेली पे रखें तथा धीरे-धीरे हाथ को पानी में डुबाए ” पत्थर के टुकड़े नीचे बैठ जाएँगे |
(b) ”दालों में पीला रंग” — संदेह्हास्पद दाल (लगभग ५ ग्राम) को ५ मिलीलीटर जल में ग्लास में डालें और हिलाएँ , १५ मिनट तक भीगने दे ” कुछ बूंदे हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की डाल दें ” यदि रंग पीला हो जाए तो समझे मेटानिल येलो की मिलावट की गई है
(c)”चने की दाल व अन्य दालों में खेसरी दाल” — ५ मिलीलीटर हाइड्रोक्लोरिक एसिड, थोड़ी सी डाल में डालकर ग्लास में रखें ” १५ मिनट तक भीगने दें” यदि पीला रंग हो जाए तो समझ ले की चने की दाल में खेसरी की मिलावट है “`अनाज एवं दाल का रूप देखकर पहचान लेने की विधि”बाजरे में गेरुई रंग” – पानी में 20% नमक के घोल में कुछ दाने डालें ” गेरुई रंग होने पर ऊपर तैरने लगेगा जबकि सही बाजरे के दाने नीचे बैठ जाएँगे ” ”भुने चने में कोलतार” – भुने चने के रंग से ही पता चल जाएगा ” ”सूजी या रवा में लोहे का चूर्ण” – सूजी में चुम्बक पत्थर छुआएँ ” लोहे का चूर्ण होने पर लोहे का चुरा उससे चिपक जाएगा |
(a) ”दूध में पानी” — लैक्टोमीटर से निर्धारित भार नापकर देखें” सामान्य मूल्य 1.030 से 1.034 तक होता है ” कई बार दूध वाले बहुत होशियार होते हैं ” वे दूध में ऐसा मिश्रण मिलाते हैं जिससे जांच सही आती है ” अतः यह जांच केवल मोटे तौर पर है|
(b) ”दूध में मांड” — आयोडीन घोल की कुछ बूंदे थोड़े से दूध में डालें” मांड मिला दूध नीला पड़ जाएगा जबकि शुद्ध दूध का रंग कॉफी जैसा हो जाएगा |
(a) ”शुद्ध घी में वनस्पति” — एक टेस्ट ट्यूब में, एक चम्मच पिघला मक्खन (घी) एवं उतना ही हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालें” दो अथवा तीन बूंदे फर्फुरल घोल की डालें” एक मिनट तक उसे हिलाते रहें” फिर पांच मिनट तक यूँ ही रखा रहने दें” यदि अम्ल की नीचे की परत का रंग पीला हो जाए तो इसमें वनस्पति घी मिला हुआ है |
(b)” पिसे हुए आलू, शकरकंद या अन्य मांड की मक्खन में मिलावट” मांड हेतु आयोडीन वाली जांच करे |
(c) ”वनस्पति में सस्ते खाद्य तेलों का मिश्रण” — धोने के सोडा का घोल वनस्पति में डालें, टेस्ट ट्यूब में उसे हिलाए, यदि फेन दिखलाई पड़े तो समझे सस्ता तेल मिला है |
(d) ”सरसों के तेल में सूरजमुखी” — तेल में नाइट्रिक अम्ल डालकर तीन मिनट तक आग पर रखें” लाल रंग हो जाए तो सूरजमुखी उपस्थित समझें |
(a) ”चाय की पत्तियों में नकली रंग” — गीले ब्लाटिंग पेपर पर चाय की पत्ती रखें” नकली रंग वाली चाय की पत्ती फ़ौरन उस स्याही सोख्ते पर रंग छोड़ देगी |
(b) ”खजूर के बीजों का चूरा या इमली के पिसे बीज कॉफी में मिलाना” — कुछ मात्रा में कॉफी पावडर स्याही सोखता पर डालें – फिर उस पर पोटैशियम हाईड्राक्साइड घोल डालें” यदि कॉफी के पास रंग भूरा हो जाए तो मिलावट है , यह समझना चाहिए |
(C) ”कॉफी पावडर में चिकोरी ” — एक ग्लास पानी में, ऊपर ही कुछ मात्रा में कॉफी पावडर छिडकें” असली कॉफी तैर जाएगी जबकि चिकोरी के कण तत्काल ही नीचे बैठने लगेंगे और वे पानी में कुछ रंग ही छोडेंगे |
(a) ”खड़िया और धूल-मिट्टी की मिलावट” — चीनी को पानी में घोलें” मिलावटी चीज नीचे जम जाएगी |
(b) ”मेटानिल येलो में जैगरी” — हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को जैगरी के घोल में मिलाएं” इससे यह मेजेंटा लाल हो जाएगी” सारांशतः कह सकते है कि प्रयोगशालाओं में की गई जांचों से पता लगा है कि खाद्य पदार्थो की कोई सीमा नहीं है | प्रायः मिलती-जुलती चीजों को असली खाद्य पदार्थो में मिलाकर ये अपराध किए जाते है” दूध में पानी मिलाने की बात तो आम हो गई है” घर तक पहुँचते -पहुँचते वह दो-तीन बिचौलियों के बीच से गुजरता है | इनमें से कोई तो उसमें पोखरे, तालाब, खेत को जाती नाली का पानी मिलाने में भी नहीं हिचकिचाता है | ऐसा पानी प्रायः गन्दा होता है और लोगो द्वारा विविध गंदे कार्यों में प्रयोग किए जाने के कारण प्रायः डायरिया, पेचिश आदि के जीवाणुओं की वृद्धि का श्रेष्ठ माध्यम है | शोध प्रयोगों में पाया गया है कि एक बूँद दूध में इतने बैक्टीरिया हो सकते है जितने कि मुंबई महानगर की कुल आबादी है” यह भी जान लेना उत्तम होगा कि एक अकेला जीवाणु, जो शरीर में किसी प्रकार से प्रवेश पा जाता है वह एक-दो दिनों में करोडो की संख्या में संतति पैदा कर सकता है|