/> left “50px”]] /> right “50px”]] /> left “50px”]] /> right “50px”]] /> left “50px”]] /> right “50px”]]
कैंसर की बीमारी न जाने कितने लोगों को अपने आगोश में प्रत्येक क्षण लेती हैं इसका नाम ही लोगों को पूरी तरह से डराने के लिए काफी होता है। इसका प्रभाव किसी भी उम्र में देखने को मिल जाता है इसकी चपेट में हर उम्र के लोग आते हैं यह जाति—धर्म या धनी गरीब नहीं देखता है यह अलग बात है कि संपन्न लोग इसका इलाज आसानी से करा पाते हैं और गरीब लोग नहीं करा पातेकैंसर हर उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। समाज में हर और बिखरा पड़ा तनावपूर्ण माहौल टाइम के इसी अभाव की ही देन तो है। अध्ययन बताते है कि पिछले कुछ सालों से जबसे फैशन व लाइफस्टाइल कल्चर का बुखार सब पर चढ़ना शुरू हुआ है तब से देश में मानसिक व शारीरिक रोग चार सौ गुना बढ़ गए हैं जिनमें कैंसर महामारी का रूप लेता जा रहा है। हर साल भारत में लगभग ४०,००० लोग कैंसर की वजह से मौत का शिकार होते है। इस तरह यह देश में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। कैंसर का खतरा पूरे विश्व में बढ़ रहा है। और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। आने वाले दो दशको में कैंसर के मामलों में ५० प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है और इनमें से भी आधी वृद्धि भारत जैसे विकासशील देशों में होगी। कैंसर कई बार कार्सिनोजंस की वजह से भी बनता है, जैसे तम्बाकू सेवन, रेडिएशन, केमिकल, संक्रमण आदि। यह शरीर के विभिन्न भागों जैसे मुंह, गला, पेट आदि पर अपना आक्रमण करता है। फिर मुंह और गले के कैंसर का जन्म होता है। इसके बारे में नई दिल्ली के पूसा रोड़ स्थित बी एल कपूर अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञों का कहना है किकैंसर के दौरान शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित वृद्धि दर्शाती है और अपनी सीमा से अधिक फैल जाती है। इतना ही नहीं ये आसपास की कोशिकाओं को भी पुरी तरह से प्रभावित करती हैं। जिसके कारण कैंसर तेजी से आसपास फैल जाता है। कई बार ये शरीर के अन्य भागों तक पहुंच जाती है। जिसका इलाज मुश्किल होता है वेकैंसर का इलाज कीमोथैरेपी, की सहायता से करते हैं जो काफी कारगर भी होता है। इस थैरेपी के दौरानकैंसर को पूरी तरह से ठीक किया जाता है। अधिकतरकैंसर ट्यूमर के रूप में उभरतें हैं लैकिन ल्यूकेमिया जैसे कैंसर नहीं। कैंसर की पुष्टि करने के लिए कई प्रकार की जांच की जाती है। जैसे एक्स रे, अल्ट्रासांउड स्कैन, सूई द्वारा जांच, सीटी स्कैन, एम आर आई आदि। उनके अनुसार सर्जरी कैंसर के उपचार का सबसे पुराना तरीका है। अगरकैंसर अन्य भागों तक न फैला हो तोकैंसर को सर्जरी के द्वारा निकाला जा सकता है। प्रोस्टेट, ब्रेस्टकैंसर में इसका अधिक इस्तेमाल होता है। लेकिन अगरकैंसर शरीर के अन्य भागों तक फैलने लगे तो सर्जरी से उसे निकाल पाना मुश्किल होता है। ऐसे में सबसे ज्यादा कारगर कीमोथैरेपी होता है।
कीमोथैरेपी,कैंसर के उपचार में प्रयोग की जाने वाली उपचार पद्धति है। वैसे तो कीमोथैरेपी शब्द, कैमिकल अर्थात् रसायन और थैरेपी यानी उपचार से मिलकर बनी है। जिसका अर्थ होता है—वह उपचार जो रसायन या कैमिकल की सहायता से किए जाए। इस थैरेपी का निर्धारणकैंसर की स्थिति के अनुसार तय किया जाता है। कभी—कभी वह अकेले दी जाती है और कभी—कभी सर्जरी और रेड़ियोथैरेपी के साथ भी दी जाती है।
इसके देने के तरीके अलग—अलग होते है। कभी—कभी यह ड्रिप या सूई से दी जाती है या फिर यह गोली के रूप में मुंह में डाला जाता है। इसके अलावा यह एक छोटे से पंप के जरिए, शरीर के अंदर भी पहुंचाया जाता है। लेकिन कभी—कभी कीमोथैरेपी की खुराक को लेकर मुश्किलें आती हैं। क्योंकि अगर खुराक बहुत कम है तो यहकैंसर के खिलाफ अप्रभावी हो जाता है। जबकि अत्यधिक खुराक रोगी के लिए असहनीय हो जाता है। इसलिए इस थैरेपी के दौरान डाक्टर काफी सजग होते है।
कीमोथैरपी देने का अंतराल मरीज की स्थिति पर निर्भर होता है। यह हर किसी की बीमारी की स्थिति और उपचार के आधार पर निर्धारित किया जाता है। ज्यादातर यह सप्ताह में एक बार दी जाती है। जबकि मरीज की कंडीशन के आधार पर यह कभी—कभी रोजाना भी दिया जाता है।कुछ केस में डॉक्टर महीने भर के अंतराल पर मरीजों को इस थैरेपी का डोज देते हैं। इसके बारे में कुछ भी पहले से तय नहीं होता है, डोज के अंतराल के बारे में डॉक्टर स्वयं निर्धारण करते हैं।
इसमें केमिकल या रसायन की मदद सेकैंसर ग्रस्त सेलों के विभाजन को रोका जाता है। इसमें उन सभी सेलों को लक्ष्य बनाया जाता है जो कि तेजी से विभाजित हो रही हों। कीमोथैरेपी उन केसों में इस्तेमाल होता है। जिसमें कैंसर अन्य भागों तक फैल चुका होता है। कीमोथेरेपी, ल्यूकेमिया और लिंफोमा में अवश्य इस्तेमाल होता है। इस प्रक्रिया को रूक—रूक कर कुछ समय के अंतराल पर किया जाता है ताकि इस डोज के बीच में शरीर को इसके दुष्प्रभावों से लड़ने की ताकत मिलती रहे। इस थैरेपी से इलाज करने पर मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है।
कीमोथैरेपी से कुछ दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। जैसे बालों का गिरना, उल्टी,जी—घबराना, मेटाबोलिज्म कमजोर होना आदि।