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बच्चों से हर क्षेत्र में अच्छे प्रदर्शन की बढ़ती अपेक्षा बच्चों में तनाव का कारण बनती है। बच्चों की अपनी सीमाएँ रहती हैं। अभिभावक यदि अपने व्यवहार में थोड़ा परिवर्तन लाएं तो बच्चों को सही मार्ग दे सकते है, आइये प्रस्तुत है कुछ उपयोगी सुझाव –
बच्चों की क्षमता का सही आंकलन करें और उसी के अनुरूप उनसे अपेक्षा करें। बच्चों की किसी दूसरे बच्चों के साथ तुलना कर उन्हें जलील न करें। कम अंक लाने पर उन्हें प्रताड़ित नहीं करें। अच्छे अंक के लिये प्रोत्साहित जरूर करें। बच्चों के साथ कुछ समय अवश्य व्यतीत करें। बच्चों का आत्मविश्वास किसी भी परिस्थिति में बना रहे, ऐसा प्रयास हमेशा करें। जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया पैदा करें। घर के सभी बच्चों के साथ समान व्यवहार करें। उनके आत्मसम्मान को ठेस नहीं पहुँचायें। उनके मित्रों पर नजर रखें । परन्तु उनकी जासूसी न करें। उनकी परेशानी में उन्हें यह अहसास दिलायें कि आप हमेशा उनके साथ हैं। हर अभिभावक का यह दायित्व है कि वे हर समय, हर परिस्थिति में अपने बच्चों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें।
१.गर्मी में अक्सर दूध फट जाता है इसलिए दूध को उबालते समय २ छोटी इलायची या २ चम्मच शक्कर डालकर गर्म करें।
२. चीनी में अगर चीटियाँ आ जाएँ तो डिब्बे में ४—५ लौंग डाल दें । चीटियाँ तुरन्त भाग जाएँगी।
३. रायता बनाते समय दही में २ चम्मच दूध मिला लिया जाए, तो रायता स्वादिष्ट बनता है।
४. गरमी में रोटियाँ नर्म बनाने के लिए आटा गूँथते समय थोड़ी सी छाछ मिलाकर आटा गूँथें।
५. अचार बनाते समय अगर मसाले में १०—१२ लौंग तलकर डाल दी जाएँ तो अचार में कभी भी फफूंद नहीं आयेगी।
६. गरमी में घर से बाहर जाते समय जेब मे एक छोटा प्याज जरूर रखें, लू से बचाव होगा।
७. गरमी के मौसम में पैर के तलवे में जलन होना आम बात है। इसके लिए आप रात को सोते समय प्याज का रस निकालकर तलुओं पर धीरे—धीरे मलें। बहुत आराम मिलेगा।