उपचार — पपीते का हलुवा और खीर खायें। ये दोनों पदार्थ पौष्टिक तथा विटामिन युक्त होते हैं। और पाचन क्रिया को सुदृढ़ बनाते हैं।
उपचार — पपीते के बीजों को दो कप पानी में औटा लें । छानकर कुल्ला करें। तथा कपड़ा भिगोकर सिकाई करें।
उपचार — यदि बवासीर के मस्से हैं तो कच्चे पपीते का रस नियमित रूप से भीतर—बाहर कुछ दिनों तक लगायें। कुछ दिनों में मस्से दब जाते हैं। तथा रोग से छुटकारा मिल जाता है।
१. पपीते के नियमित सेवन से रक्त चाप (उच्च) स्वत: ही घट जाता है और यह चमत्कारिक रूप से लाभ करता है। २. पैरों के तलवों पर पपीते का गूदा मलें।
उपचार — पपीते के दूध में जायफल घिसकर लगाने से जलन कम होती है। और निशान भी मिट जाता है।
उपचार — पपीते के पत्ते, तुलसी के ४ पत्ते तथा जरा सी सोंठ तीनों को पानी में औंटा लें। पानी को छानकर ठंडा करके कुल्ला करें।
नाभि का पक जाना—पपीते के रस में हल्दी घिसकर नाभि पर लगायें।
१. ठंडे पानी में पपीते का तना घिस कर बच्चों को पिलायें । इस शरबत से पेट के कीड़े जल्दी निकल जायेंगे।
२. बाय बिडिंग का चूर्ण एक चुटकी, पपीते के बीजों का चूर्ण एक चुटकी, व तुलसी के बीजों का चूर्ण एक चुटकी पानी के साथ लेने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं। ==
उपचार — पपीते के रस में एक चम्मच अजवायन देने से बच्चा बिस्तार में पेशाब करना बंद कर देता है।
उपचार — दाल चीनी का चूर्ण आधा चम्मच पपीते के टुकड़ों के साथ सेवन करें।
उपचार — बच्चों के मसूड़ों पर पपीते का दूध मलने से दांत जल्दी निकल आते हैं।