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कुण्डलपुर तीरथ पुराना, प्रभु वीर जन्मभूमि माना
June 17, 2020
भजन
jambudweep
कुण्डलपुर तीरथ पुराना, प्रभु वीर जन्मभूमि माना
तर्ज-दीदी तेरा देवर दीवाना……….
कुण्डलपुर तीरथ पुराना, प्रभु वीर जन्मभूमि माना।
है छब्बिस सौ वर्ष पुराना, जिसे पूज्य जगत ने है माना।।टेक.।।
कभी इस धरा पर महावीर प्रभु ने, लिया था जनम इसको पावन किया था।
माँ त्रिशला तथा राजा सिद्धार्थ पितु थे, जिन्होंने जनम अपना सार्थक किया था।।
पांच नामों से जाने जमाना, जिसे पूज्य जगत ने है माना।।१।।
हुए गर्भ, जन्मकल्याणक वहाँ पर, बनी नगरी दिव्य वह स्वर्णपुरी सी,
माँ त्रिशला ने देखे थे सोलह स्वप्न औ, धनद ने वहाँ रत्नवृष्टि करी थी।।
अद्भुत था वह दृश्य पुराना, जिसे पूज्य जगत ने है माना।।२।।
हुए वीर वैरागी जातिस्मरण से, लिया दीक्षा वन में सिद्धं नम: कह।
अिंहसा का उपदेश जग को दिया था, आहार प्रथम कूल नृप घर हुआ था।।
अहिंसा का अवतार माना, जिसे पूज्य जगत ने है माना।।३।।
सती चन्दना जब भी बेड़ी में जकड़ी, प्रभू उसका उद्धार तुमने किया था।
तेरे दर्श से बेड़ियाँ झड़ पड़ी थीं, तनू स्वर्ण हो दिव्याहार दिया था।।
चमत्कार जन-जन ने जाना, जिसे पूज्य जगत ने है माना।।४।।
ऋजुकूला नदी का वह तट भी था पावन, जहाँ दिव्य वैवल्यज्ञान हुआ था।
खिरी दिव्यध्वनि तेरी प्रभु जी जहाँ पर, वो विपुलाचल पर्वत का अद्भुत समाँ था।।
गौतम गणधर का हुआ आना, जिसे पूज्य जगत ने है माना।।५।।
है पावापुरी का सरोवर कमलयुत, प्रभु वीर का मोक्षधाम बखाना।
मनाई सभी इन्द्रगण ने दीवाली, दीपावली पर्व तब से है माना।
र्कािर्तक कृष्णा मावस को जाना, जिसे पूज्य जगत ने है माना।।६।।
कहें कालदोष या शोधों की अति है, हुआ दिग्भ्रमित जिससे सारा जमाना।
जनमभूमि वैशाली है यह बताकर, गलत रूप उसका सभी को दिखाना।।
उनकी बातों में तुम ना आना, उसे पूज्य जगत ने ना माना।।७।।
गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी ने, यथार्थ से सबको है परिचित कराया।
प्राचीन ग्रंथों के साक्ष्य दिखाकर, जनमभूमि को फिर से विकसित कराया।।
अनुपम निधी उनको माना, जिन्हें पूज्य जगत ने है माना।।८।।
तुम सब भी ले प्रेरणा मातुश्री से, जनमभूमि का अब विकास कराओ।
जनमभूमि कुण्डलपुरी है, रहेगी, जन-जन को यह वास्तविक बताओ।।
‘‘इन्दू’’ पाऊँ मैं मोक्ष पाना, जिसे पूज्य जगत ने है माना।।९।।
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