मेरु को छोड़कर कुल पर्वत, विजयार्ध, नाभिगिरि आदि पर्वत जम्बूद्वीप की अपेक्षा दूने विस्तार से सहित हैं एवं ऊँचाई और अवगाह समान है।
यहाँ के कुलाचल मूल व उपरिम भाग में समान विस्तार से सहित दोनों अंतिम भागों से लवणोदधि, कालोदधि से संलग्न हैं। ऐसे ही भरत ऐरावत के विजयार्ध भी दोनों तरफ से समुद्र को स्पर्शित करते हैं। ये सभी पर्वत अभ्यंतर भाग में अंकमुख एवं बाह्य भाग में क्षुरप्र जैसे आकार वाले हैं। दक्षिण इष्वाकार पर्वत के पार्श्व भागों में दोनों तरफ दो भरत क्षेत्र एवं उत्तर इष्वाकार के पार्श्व भागों में दोनों तरफ दो ऐरावत क्षेत्र हैं। ये भरत आदि क्षेत्र चक्के के आरों के मध्य में रहने वाले छिद्रों के समान हैं अत: ये ‘अरविवर’ सदृश हैं ये सब क्षेत्र अभ्यंतर भाग में अंकमुख, बाह्य में शक्तिमुख हैं इनकी पार्श्व भुजायें गाड़ी की उद्धि के समान हैं।