पहली से दूसरी गली में प्रवेश करने पर चंद्र मंडल के १६ भागों में से १ राहु के गमन विशेष से ढक जाता है ऐसे ही १५ दिन तक १-१ कला ढकते-ढकते अमावस्या के दिन एक ही कला रह जाती है। प्रतिपदा से राहु के गमन विशेष से १-१ कला खुलती चली जाती है। १६ कला के पूर्ण होने पर पूर्णिमा होती है।