कोठाला अतिशय क्षेत्र महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र पर जालना जिले में स्थित है। यह क्षेत्र परतुर रेलवे स्टेशन तथा सेलू से ३० किलोमीटर दूरी पर है। क्षेत्र पर जाने के लिए बस की सुविधा उपलब्ध है। कोठाला ग्राम में जैन बस्ती नहीं है। पास के िंपपलगाँव ग्राम के जैन बंधु यहाँ की व्यवस्था देखते रहते हैं। यहाँ का प्राचीन मंदिर हेमाड़पंथी पत्थर का निर्मित है। मंदिर में भगवान पाश्र्वनाथ की अतिशय मनोज्ञ रेत की प्रतिमा बनी हुई है। यह मूर्ति चतुर्थकालीन होकर २ फीट ऊँची पद्मासन अवस्था में है। इस प्रतिमा का निर्माण खरदूषण राजा के द्वारा किया गया है। यहाँ की िंकवदन्ती है कि इस ग्राम के पास नागझिरी गाँव है वहाँ श्रीपाल राजा रहते थे। उन्हें एक दिन रात को सपना आया कि हे राजन, यह पाश्र्वनाथ भगवान की प्रतिमा नागझिरी से आष्टी ग्राम ले जाओ पर ध्यान रहे कि रास्ते में पीछे मुड़कर मत देखना वरना प्रतिमा उसी स्थान पर रुक जावेगी। प्रतिमा को लघु बैलगाड़ी में रखकर ले जाने लगे। बीच रास्ते में गाड़ीवान ने उत्सुकतावश पीछे मुड़कर देखा वैसे ही गाड़ी उसी स्थान पर रुक गई। सभी लोग अचरज कर देखने हेतु इकट्ठा हो गये। गाड़ी वहाँ से बिल्कुल भी नहीं हिली। बैलगाड़ी भी अदृश्य हो गई। इसी स्थान पर प्रतिमा स्थापित हुई तथा ग्राम का नाम कोठाला पड़ा। क्षेत्र पर जीर्णोद्धार हो चुका है। इस ग्राम की विशेषता है कि भगवान पाश्र्वनाथ की मूर्ति के लिए यहाँ के लोग शुद्ध दूध ही देते हैं। अभिषेक के दूध में यदि पानी मिलाकर दिया गया हो तो जिस गाय या भैंस का वह दूध होता है उस समय भैंस के कान से खून निकलने लगता है आज भी यही स्थिति बनी हुई है। इसलिए आज भी मूर्ति के अभिषेक के लिए गाँव के लोग शुद्ध दूध ही देते हैं। ऐसी अतिशययुक्त मूर्ति के दर्शन के लिए हजारों लोग वर्ष भर आते रहते हैं। इसके दर्शन मात्र से ही भक्तों के मनोरथ, मनोकामना पूर्ण होती है। यहाँ प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष माह की अमावस को मेला लगता है जिसमें हजारों यात्री आते हैं।