जिनके माता—पिता को दिल का रोग होता है उन्हें वंशानुगत रूप से दिल की बीमारी मिलती है। इनका खानपान यदि वसा की अधिकता वाला है तो इस परिवार के बच्चों के रक्त में कोलेस्ट्राल का जमाव बचपन से ही होता है। सभी दिल के रोगियों के लिए पैदल चलना सर्वश्रैष्ठ है। ऐसे लोगों को सर्वगुणसम्पन्न बनने के फैर में ज्यादा तनाव में नहीं रहना चाहिए। यह तनाव दिल के रोग को बढ़ाता है। जिन्हें लो बीपी होता है, उनमें से बहुत कम को दिल का खतरा रहता है। जंक फूड या एक बार में भारी खाने से दिल की तकलीफ बढ़ती है। ऐसे लोगों के खानपान में नमक, शक्कर , तेल कम हो किंतु पानी व रेशेदार चीजें अधिक हो । दिल के रोगी के लिए फल सब्जी सलाद, सूप, जूस, रायता, दही श्रेष्ठ हैं। इन्हें नमकीन, चटपटी, मीठी, तली भुनी चीजों से बचना चाहिए। ऐसी चीजें स्वादिष्ट जरूर होती हैं किंतु इनसे दिल का खतरा बढ़ता जाता है। कोलेस्ट्राल का बढ़ना ही दिल के दौरें एवं मृत्यु का मुख्य कारण होता है।