सांची: पौधों की पत्ती को आयुर्वेद में आंखों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सांची पेड़ को प्रचीन काल से ही वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए कारगर कहा गया है। मच्छरों से बचाव के साथ ही सांची पेड़ का प्रयोग स्रेक बाइट के लिए भी इस्तेमाल होता है। सदाबहार: घरों में झाडियों की तरह उगने वाले इस पौधे पर गुलाबी रंग और बैंगनी रंग के फूल निकलते हैं। २५ सेंटीमीटर के इस पौधे का इस्तेमाल आयुर्वेद में डायबिटिज और नसों के संकूचन को दूर करने के लिए किया जाता है। गार्डेनिया: घरों में खिलने वाले सफेद फूल की खुशबू से इस पौधे को आठ फुट की दूरी से पहचाना जा सकता है। २५ मीटर की ऊंचाई तक बढ़ने वाले इस पौधे का इस्तेमाल कई चाइनीज दवाएं बनाने में होता है। चीकान य फिर जीबान: बंगाली में जीबान शब्द का अर्थ जीवन होता है। इस लिहाज से चीकान—जीबान को जीवन देने वाले पौधे के रूप में भी जाना जाता है। पौधे की पत्तियों का इस्तेमाल ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है। ‘‘मच्छर मारने के लिए रासायनिक स्प्रे और अन्य दवाओं का नियमित इस्तेमाल एक समय के बाद सांस या दमे का शिकार बना सकता है। पौधे मच्छरों की रोकथाम के लिए बेहतर साधन हैं।’’