(अ) ज्ञानावरणीय कर्म के पांच भेद—
(१) मतिज्ञानावरण
(२) श्रुतज्ञानावरण
(३) अवधिज्ञानावरण
(४) मन: पर्ययज्ञानावरण
(५) केवलज्ञानावरण।
(ब) दर्शनावरणीय कर्म के नौ भेद—
(१) चक्षुदर्शनावरण
(२) अचक्षुदर्शनावरण
(३) अवधिदर्शनावरण
(४) केवलदर्शनावरण
(५) निद्रा
(६) निद्रा—निद्रा
(७) प्रचला
(८) प्रचला—प्रचला
(९) स्त्यानगृद्धि
(स) वेदनीय कर्म के २ भेद—
(१) सातावेदनीय
(२) असातावेदनीय
(द) मोहनीय कर्म के २ भेद—
(१) दर्शन मोहनीय
(२) चारित्र मोहनीय
(इ) आयु कर्म के ४ भेद—
(१) नरकायु
(२) तिर्यंचायु
(३) मनुष्यायु
(४) देवायु
(फ) नाम कर्म के २ भेद—
(१) शुभनामकर्म
(२) अशुभनाम कर्म
(क) गोत्र कर्म के २ भेद—
(१) उच्च गोत्र
(२) नीच गोत्र
(ख) अंतराय कर्म के ५ भेद—
(१) दान अंतराय
(२) भोग अंतराय
(३) उपभोग अंतराय
(४) लाभ अंतराय
(५) वीर्य अंतराय।
इस तरह ५ + ९ + २ + २ + ४ + २ + २ + ५ = ३१
(४) स्वप्न में इकतीस वस्तुयें देखना शुभ—
(१) साधु | (२) मित्र | (३) देवता |
(४) पूजन क्रिया | (५) तीर्थ | (६) सागर |
(७) गौ | (८) वृषभ | (९) चंद्र |
(१०) शत्रुजय | (११) देशजय | (१२) सदन |
(१३) वन | (१५) जल | (१६) घट |
(१७) भ्रमर | (१८) मृगेन्द्र | (१९) श्वेत पुष्प |
(२१) कन्या | (२२) रत्नराशि | |
(२३) मत्स्य | (२४) मृगेन्द्र—लाभ | (२५) आरोग्य |
(२६) विट | (२७) मृतक | (२८) जलौका |
(२९) सूर्य | (३०) रुदन | (३१) नरेन्द्र। |