०१. बीस प्ररुपणा — (१) गुणस्थान (२) जीवसमास (३) पर्याप्ति (४) प्राण (५) संज्ञा (६) उपयोग (७) गति (८) इंद्रिय (९) काय (१०) योग (११) वेद (१२) कषाय (१३)ज्ञान (१४) दर्शन (१५) संयम (१६) लेश्या (१७) भव्यत्व (१८) सम्यक्त्व (१९) संज्ञी (२०) आहार।
०२.पुद्गल के बीस गुण — स्पर्श ८— (१) रूखा (२) चिकना (३) हल्का (४) भारी (५) कठोर (६) नरम (७) ठण्डा (८) गरम, वर्ण ५— (१) काला (२) पीला (३) नीला (४) लाल (५) सफेद , रस ५— (१) खट्टा (२) मीठा (३) कड़वा (४) कषैला (५) चरपरा, गंध २— (१) सुगंध (२) दुर्गंध ,
०३. विदेह क्षेत्र स्थित विहरमान बीस तीर्थंकर— (१) सीमंधर (२) युगमंधर (३) बाहु (४) सुबाहु (५) संजातक (६) स्वयंप्रभू (७) वृषभान (८) अनंतवीर्य (९) सूरप्रभ (१०) विशालकीर्ति (११) वङ्काधर (१२) चंद्रानन (१३) चंद्रबाहु (१४) भुजंगम (१५) ईश्वर (१६) नेमीश्वर (नेमि) (१७) वीरसेन (१८) महाभद्र (१९) देवयश (२०) अजितवीर्य ।
०४. भवनवासियों के बीस इंद्र—१० प्रकार के भवनवासियों के २—२ इंद्र होते है जैसे असुरकुमार देव के चमर और विरोचन। (१) चमर (२) विरोचन (३) धारण (४) भूतानंद (५) हरिसिंह (६) हरिकांत (७) वेणुदेव (८) वेणुधारी (९) अग्निशिख (१०)अग्निमानव (११) वैलम्ब (१२) प्रभंजन (१३) सुघोष (१४) महाघोष (१५) जलकांत (१६) जलप्रभ (१७) पूर्ण (१८) विश्ष्टि (१९) अमितगति (२०) अमितवाहन।