तीर्थंकर भगवान के जन्मकल्याणक में सौधर्म इन्द्र अपने भव्य परिकर के साथ ऐरावत हाथी पर चढ़कर आता है और तीर्थंकर शिशु को जन्माभिषेक हेतु सुमेरू पर्वत की पाण्डुकशिला पर ले जाता है। जहां देव-देवी मिलकर उनका १००८ बड़े -२ कलशों से जन्माभिषेक करते हैं और यह जल क्षीरोदधि समुद्र से भर कर लाते हैं।