सन् १९१२ में स्थापित क्षुल्लिका राजुलमती श्राविका आश्रम-सोलापुर (महा.) जैन समाज की एक ऐसी संस्थान है, जिसने धार्मिक एवं सामाजिक कार्यकलापों में १०१ वर्ष का स्वर्णिम इतिहास समाज के समक्ष प्रस्तुत करके दिगम्बर जैन धर्म व समाज का मस्तक गर्व से ऊँचा किया है। इस आश्रम के अंतर्गत धार्मिक, शैक्षणिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, चिकित्सकीय व औद्योगिक गतिविधियों पर आधारित विभिन्न प्राथमिक शालाओं, विद्यालय, महाविद्यालय, टेव्नकिल स्कूल, रिसर्च सेंटर, ग्रंथालय, कम्प्यूटर एकेडमी, औद्योगिक कला मंदिर, औषधालय, छात्रावास तथा विद्यायतन निधि (छात्रवृत्ति) आदि ऐसी अनेक योजनाएँ संचालित हैं, जिनसे छात्र-छात्राएँ तथा महिलाएँ विशेष लाभान्वित होकर अपने जीवन को उज्ज्वल कर रहे हैं। साथ ही अपंग, अनाथ तथा परित्यक्ता-विधवा महिलाओं का संरक्षण तथा संवर्धन करना भी इस आश्रम की विशेष उपलब्धि है। साथ ही इस आश्रम के अंतर्गत निर्मित भगवान महावीर स्वामी का अति सुन्दर जिनालय सोलापुर में विशेष आकर्षण के रूप में सभी भव्य जीवों को धार्मिक अनुष्ठान, प्रवचन-व्याख्यान आदि के माध्यम से समीचीन ज्ञान बोध की प्राप्ति कराने में निमित्त बनता है तथा हिन्दी, मराठी व अंग्रेजी भाषाओं में विभिन्न साहित्यिक व शैक्षणिक गतिविधियों से सम्पूर्ण भारत ही नहीं अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस संस्थान का कार्य क्षेत्र अत्यन्त प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय है। क्षुल्लिका श्री राजुलमती माताजी द्वारा संस्थापित तथा ब्र. पद्मश्री पण्डिता सुमतीबाई शहा के द्वारा पुष्पित व पल्लवित यह संस्थान वर्तमान में ब्र. सुश्री विद्युल्लता जी शहा तथा धर्मनिष्ठ रतनचंद जी शहा आदि अनेक सेवाभावी विश्वस्तों की कार्यशक्ति के कारण अपनी यश:कीर्ति के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचकर अनेक साधु-साध्वियों तथा विदुषियों के निर्माण में अग्रणी व श्रेष्ठ सफल हुई है।
क्षुल्लिका राजुलमती दिगम्बर जैन श्राविका आश्रम (सन् १९२४ में स्थापित) -स्व. नवलबाई गुलाबचंद श्राविकालय (सन् १९७५ में स्थापित) -आचार्य शांतिसागर वत्तृत्व स्पर्धा फण्ड (सन् १९५६ में स्थापित) -आर्यिका चन्द्रमती स्मारक भवन-त्यागी निवास (सन् १९७६ में स्थापित) -सुश्री विद्युल्लता विद्यायतन निधि-छात्रवृत्ति (सन् १९८३ में स्थापित) -सुसज्ज विस्तारित छात्रावास (सन् १९८३ में स्थापित) -भगवान महावीर दिगम्बर जैन मंदिर (सन् १९९१ में स्थापित) -आचार्य पूज्यपाद आयुर्वेद प्रतिष्ठान औषधालय (सन् १९९१ में स्थापित) -स्व. फूलूबाई स्वास्थ्य संवर्धन मंदिर (सन् १९९५ में स्थापित)
श्री चतुरबाई श्राविका बाल मंदिर एवं प्राथमिक शाला (सन् १९१२ में स्थापित) -संस्कृत धार्मिक महाविद्यालय -उमाबाई श्राविका हाईस्कूल एवं जूनियर कॉलेज (सन् १९५६ में स्थापित) -पी.एस.वी.विद्यापीठ ट्रस्ट के अंतर्गत पी.एस.वी. अंग्रेजी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय तथा जूनियर कॉलेज (सन् १९७४ में स्थापित) -स्व. वालचंद देवचंद स्कूल (सन् १९९० में स्थापित) -उमाबाई श्राविका कनिष्ठ कन्या महाविद्यालय (सन् १९८५ में स्थापित) -भगवान महावीर रिसर्र्च सेंटर -स्व. हिरुबाई नेमचंद जैन मुक्तद्वार ग्रंथालय (सन् १९८१ में स्थापित) -पद्मश्री सुमतिबाई कम्प्यूटर एकेडमी (सन् २००१ में स्थापित)
श्राविका प्रकाशन संस्था (सन् १९८३ से स्थापित)-मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी में अनुवादित व सम्पादित ग्रंथ तथा विशेष षट्खण्डागम भाग-१ का प्रकाशन -मासिक मुख पत्रिका ‘‘श्राविका’’ (सन् १९६८ से स्थापित)
संस्कृत एवं नृत्य महाविद्यालय -राव साहेब निंबर्गीकर सभागृह -स्व. शांतिलाल कला मंच (सन् १९९५ में स्थापित) -क्षुल्लिका राजुलमती बहुउद्देशीय सभागृह (सन् २००१ में स्थापित)
उमाबाई औद्योगिक कला मंदिर (सन् १९५५ में स्थापित)-महिलाओं, छात्राओं के स्वावलम्बन हेतु सिलाई, एम्ब्रॉडरी आदि अनेक व्यवसाय का संचालन-प्रशिक्षण -श्राविका इनफोवूमेन-फैशन डिजाइनिंग एवं कुकिंग कोर्स (सन् २००४ में स्थापित) अत: आज हम पूज्य माताजी के ८०वें जन्मजयंती तथा ६२वें त्यागदिवस-शरदपूर्णिमा के अवसर पर जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में आयोजित ‘‘गणिनी ज्ञानमती अमृत महोत्सव’’ में ऐसी दीर्घकालीन समाजसेवी व धार्मिक संस्थान को ‘‘गणिनी ज्ञानमती अमृत महोत्सव पुरस्कार’’ से सम्मानित करते हुए अत्यन्त हर्ष एवं गौरव का अनुभव करते हैं।