Jambudweep - 7599289809
encyclopediaofjainism@gmail.com
About Us
Facebook
YouTube
Encyclopedia of Jainism
Search
विशेष आलेख
पूजायें
जैन तीर्थ
अयोध्या
31. क्षेत्रपाल पूजा
June 3, 2020
Workshop of Books
jambudweep
क्षेत्रपाल पूजा
क्षेत्रपालाय यज्ञेऽस्मिन्नेतत्क्षेत्राधिरक्षणे।
बलिं दिशामि दिग्यम्नेर्वेद्यां विघ्नविघातिने।।१।।
ॐ आं क्रों ह्रीं अत्रस्थ क्षेत्रपाल! आगच्छ आगच्छ संवौषट्! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः ।
अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्
इति पुष्पाञ्जलिः।
क्षेत्रपाल का तेल से अभिषेकः-
सद्यस्केन सुगंधेन स्वच्छेन बलहेन च। स्न
पनं क्षेत्रपालस्य तैलेन प्रकरोम्यहं।।२।।
ॐ ह्रीं तैलेन क्षेत्रपालं अभिषेचयामि इति स्वाहा।
सिंदूर चढ़ाने का श्लोकः
–
सिंदूरैरारूणाकारैः पीतवर्णैः सुसंभवैः।
चर्चनं क्षेत्रपालस्य सिंदूरैः प्रकरोम्यहं।।३।।
ॐ ह्रीं सिंदूरैः क्षेत्रपालार्चनं करोमीति स्वाहा।
क्षेत्रपाल के लिए अर्घ्य-
भोः क्षेत्रपाल! जिनपप्रतिमांकभाल।
दंष्ट्राकराल जिनशासनवैरिकाल।।
तैलाहिजन्म गुड चंदन पुष्प धूपैः।
भोगं प्रतीच्छ जगदीश्वर यज्ञ काले।।४।।
ॐ आं क्रों ह्रीं हे क्षेत्रपाल! इदं जलादिकं अर्चनं गृहाण गृहाण।
ॐ भूर्भुवः स्वः स्वधा स्वाहा।
इति क्षेत्रपालार्चनं।
Tags:
Mandal Vidhan Vidhi 1
Previous post
17. संज्ञा
Next post
07. अहिंसक बनने के लिए कम से कम इतना अवश्य करें
Related Articles
13. घटयात्रा विधि
November 11, 2014
jambudweep
27. व्रत ग्रहण करने का संकल्प
November 9, 2014
jambudweep
23. हवनविधि
May 29, 2015
jambudweep
error:
Content is protected !!