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अयोध्या
31. क्षेत्रपाल पूजा
June 3, 2020
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क्षेत्रपाल पूजा
क्षेत्रपालाय यज्ञेऽस्मिन्नेतत्क्षेत्राधिरक्षणे।
बलिं दिशामि दिग्यम्नेर्वेद्यां विघ्नविघातिने।।१।।
ॐ आं क्रों ह्रीं अत्रस्थ क्षेत्रपाल! आगच्छ आगच्छ संवौषट्! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः ।
अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्
इति पुष्पाञ्जलिः।
क्षेत्रपाल का तेल से अभिषेकः-
सद्यस्केन सुगंधेन स्वच्छेन बलहेन च। स्न
पनं क्षेत्रपालस्य तैलेन प्रकरोम्यहं।।२।।
ॐ ह्रीं तैलेन क्षेत्रपालं अभिषेचयामि इति स्वाहा।
सिंदूर चढ़ाने का श्लोकः
–
सिंदूरैरारूणाकारैः पीतवर्णैः सुसंभवैः।
चर्चनं क्षेत्रपालस्य सिंदूरैः प्रकरोम्यहं।।३।।
ॐ ह्रीं सिंदूरैः क्षेत्रपालार्चनं करोमीति स्वाहा।
क्षेत्रपाल के लिए अर्घ्य-
भोः क्षेत्रपाल! जिनपप्रतिमांकभाल।
दंष्ट्राकराल जिनशासनवैरिकाल।।
तैलाहिजन्म गुड चंदन पुष्प धूपैः।
भोगं प्रतीच्छ जगदीश्वर यज्ञ काले।।४।।
ॐ आं क्रों ह्रीं हे क्षेत्रपाल! इदं जलादिकं अर्चनं गृहाण गृहाण।
ॐ भूर्भुवः स्वः स्वधा स्वाहा।
इति क्षेत्रपालार्चनं।
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