मैं अभी जून के अंतिम सप्ताह में इस क्षेत्र की यात्रा करके आया हूँ। इस सिद्धक्षेत्र के बारे में अपने विचार व अनुभव आप सभी को बताना चाहता हूँ। मैं यहाँ पर २—३ दिन रहा, इस सिद्धक्षेत्र की दूरी भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से ८ कि. मी. है व भुवनेश्वर एयरपोर्ट से १५ किमी. है। हम सभी को इस तीर्थक्षेत्र की वंदना अवश्य करनी चाहिए। मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि यहाँ पर आने वाले जैन दर्शनार्थी कम और अजैन समाज के पर्यटक ज्यादा आते हैं। कारण उड़ीसा (भुवनेश्वर, कटक व पुरी) में जैन परिवार कम संख्या में हैं। इसलिये आने वाले यात्री कम हैं। दूसरी बात इस क्षेत्र की दूरी केन्द्रांचल से अधिक होने के कारण यात्री कम पहुँचते हैं। वहाँ पर मैंने पूज्य १०५ ऐलक श्री गोसलसागरजी महाराज के दर्शन किये, उनसे विचार विमर्श हुआ तो ऐसा मालूम हुआ कि दिल्ली की ओर से कम यात्री पहुँचते हैं। खण्डगिरि के पहाड़ पर जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है, परन्तु धीमी गति से, पहाड़ पर एक ही कैम्पस में ९ जिनालय हैं। सुबह अभिषेक के लिये नीचे से ही जल लेकर पुजारी जाते हैं और अभिषेक करके नीचे आ जाते हैं। ज्यादातर यात्री उसी समय दर्शन कर लेते हैं। खण्डगिरि उदयगिरि जैन समाज का अति पूज्यनीय क्षेत्र हैं। खण्डगिरि में प्राप्त शिलालेखों से ज्ञात होता है कि महाराजा खारवेल अपने राज्यकाल में मगध के राजा बृहस्पतिमित्र को परास्त करके कलिंग जिन (भगवान ऋषभदेव) की प्रतिमा को लौटा लाये और राष्ट्रीय समारोह के साथ यहाँ खण्डगिरि में प्रतिष्ठित कराया। यह प्रतिमा तीन सौ वर्ष मगध के नन्दराजा राशाली के क्षेत्र पर आक्रमण कर हरण करके ले गये थे। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने इसी पर्वत से कलिंग वासियों को जैन धर्म की विजयवाणी सुनाई थी। यहाँ से जदरथ राजा के ५०० पुत्र मुनि बनकर मोक्ष गये। यहाँ पर मूलनायक प्रतिमा कलिंग जिनेन्द्र (भगवान ऋषभदेव) की है। माघ संक्रांति पर १४ दिनों तक चलने वाला खारवेल उत्सव का आयोजन किया जाता है, यह उड़ीसा के प्रमुख उत्सवों में से एक है। इस क्षेत्र का प्रबंधन श्री बंगाल, बिहार उड़ीसा दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी ६४ नलिनी सेठ रोड कोलकाता के द्वारा होता है। धर्मशाला में ठहरने की व्यवस्था बहुत अच्छी है। ए. सी. रूम भी हैं, सशुल्क भोजनशाला भी है। सभी कर्मचारियों का बर्ताव बहुत अच्छा है। खण्डगिरि से ३० किमी. दूरी पर कटक में चौधरी बाजार में प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर व धर्मशाला है। जगन्नाथपुरी व कटक में दर्शनीय स्थान है। मेरे विचार से ज्यादा से ज्यादा यात्रियों के पहुँचने से क्षेत्र के विकास, संरक्षण व जीर्णोद्धार को गति मिल सकती है। खण्डगिरि धर्मशाला में कटक व पुरी जाने की समुचित व्यवस्था हो जाती है। अधिक जानकारी के लिये क्षेत्र के कर्मचारियों, प्रबंधक से संपर्क कर सकते हैं :—
डाँ. नरेन्द्र जैन एवं प्रतिभा जैन, पी—२१, नवीन शाहदरा, दिल्ली—३२ मोबा. :९३१२८३५४४१ बाकलीवाल (उपमंत्री), फोन : ०७६१ २४४०९८३,