ज्यादातर लोग स्वाद के चक्कर में या मूड खराब होने पर खूब सारा खाना बिना सोचे कि बाद में क्या नुकसान होगा खा जाते हैं और बाद में पछताते हैं। बेहतर यह होगा कि किसी भी परिस्थिति में खाते समय दिमाग को भी सचेत रखें, खाली मन को ही नहीं। अगर दिमाग सचेत रहेगा तो वह हमें सावधान करेगा कि अधिक नहीं खाना है और स्वाद और इंमोशंस को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना है । यह सच है कि खाना हमारे शरीर को न्यूट्रीशन देता है, साथ ही शरीर का स्टेमिना बढ़ाता है ओर शरीर को ऊर्जा भी देता है। इसका अर्थ यह नहीं कि खाते समय यह न सोचा जाए कि कितना और क्या खाएं ? ऐसा न हो कि स्ट्रेस में है तो अधिक खाएं, स्वादिष्ट है तो भी अधिक खाएं या अपनी पसंद का है तो खाते ही जाएं । यह ईटिंग न हो कर ओवर ईटिंग हो जाएगी जिसका परिणाम बदहजमी व मोटापा होगा।
सिर्फ भूख लगने पर ही खाएं
प्राय: हम खाना इसलिए खा लेते हैं कि खाने का समय हो गया या किसी को कंपनी देनी है। थकान होने पर, बोर होने पर, आकर्षित होने पर या काम निपटाना है, इसलिए खा लेते हैं। ऐसी स्थिति में कि दिमाग से पूछें कि क्या वास्तव में भूख है। अगर सिग्नल मिले भूख है, तभी खाएं। कभी—कभी कंपनी के नाते खा लेना चाहिए पर इसे आदत न बनाएं । कभी—कभी हम तब भी खाते हैं कि कहीं हमारी पसंद का खाना खत्म न हो जाए। कभी—कभी तो ठीक है पर खाना तभी खांए जब वास्तव में भूख लग रही हो।
अपने शरीर की स्थिति को परखें
अगर आप रिलैक्स होकर खाना खा रहे हैं तो खाना अच्छी तरह से पचता है और अक्सर आप इस स्थिति में ओवरईटिंग भी नहीं करते। अगर आप जल्दी में खा रहे हैं और बस पेट भरना है तो पेट तो भर जाएगा पर खाना अच्छी तरह से पचेगा नहीं। खाना खाने से पूर्व स्वयं को रिलैक्स रखें ताकि खाना अच्छी तरह से पच जाए। ड्राइव करते समय, टीवी देखते हुए, फोन पर बात करते हुए या कोई काम करते हुए न खाएं। घर पर हैं तो काम करते हुए न खाएं। आफिस में खाना सीट पर न खाकर अलग स्थान पर खाएं या कैंटीन में जाकर खाएं ताकि पूरा ध्यान खाने पर ही रहे। शांत माहौल खाने के स्वाद को बढ़ा देता है।
खाते समय छोटी प्लेट में खाना डालें
जब भी खाना अपने लिए डालें, बड़ी प्लेट या थाली में न डालें। ऐसे में बड़ी प्लेट में डाला खाना मानसिक रूप से कम लगेगा और आप ज्यादा डालेंगे। नतीजा ओवर ईटिंग होगा। छोटी प्लेट में डाला खाना भरा—भरा लगेगा। मानसिक रूप से संतुष्टि होगी कि प्लेट भर खाना खा रहा हूं। प्लेट में रखे खाने को खत्म करने वाला रूल फालो करें। अगर महसूस हो पेट भर गया और खाना बच गया है, तब खाना छोड़ दें। अगली बार आप खाना थोड़ा डालेंगे।
चबा—चबा कर खाएं
हर बाइट को चबा—चबा कर खाएं और पूरा स्वाद ले। अच्छे से चबाकर खाने से पेट जल्दी भरता है । समय नोट कर खाएं । अगर अभी तक आप चबा चबा कर खाना नहीं खाते तो यह आदत जल्दी डालें। स्वाद का आनंद भी मिलेगा ओर डाइट पर कंट्रोल भी होगा।
खाने पर न करें अटैक
कई बार तेज भूख लगने पर या खाना ज्यादा आकर्षक दिखने पर आप एकदम खाने पर अटैक करते हैं जो ठीक नहीं क्योंकि अटैक करने पर आप खाना स्पीड से खाते हैं। अगर संयम से खाना डालेंगे तो आप खाना धीरे खाएंगे जिससे आप खाना अधिक नहीं खा पाएंगे। कभी भी यह सोच कर खाने पर अटैक न करें कि कोई और आपको खिला रहा है।
स्वयं पर करें कंट्रोल
खाने के दौरान स्वयं पर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। जब भी आधा पेट भर जाए तो खाना छोड़ दे या बचा खाना इतना धीरे खाएं कि ओवर ईटिंग न हो। अगर खाने में अधिक वैरायटी हो तो सब चीजों के टेस्ट के चक्कर में पेट को डस्टबिन न बनाएं। किसी नई चीज खाने का मन हो तो उसे कम लें। पहले टेस्ट करें, फिर आगे बढ़े । तभी अपने पर कंट्रोल कर पाएंगे।
दुबारा खाना लेना हो तो थोड़ा ब्रेक लें
अगर प्लेट में कुछ और खाने को लेना हो तो थोड़ा रूक कर लें क्योंकि कई बार खाते समय महसूस होता है कि और खा लिया जाए। अगर ब्रेक लेंगे तो बहुत बार आपको लगेगा कि और नहीं खाना। इस प्रकार भी ओवर ईटिंग से बचा जा सकता है।