मथुरा नगरी मेंं सुवीर (वीर) राजा रहता था उसकी पत्नी का नाम पद्मावती था। उन दोनो के भोजकवृष्टि नाम का पुत्र हुआ। तरूण होने पर इनका विवाह हुआ, रानी का नाम सुमति था। इन दोनों के उग्रसेन महासेन् देवसेन् ये तीन पुत्र हुए और गंधारी नाम की कन्या हुई।
कुरूवंशी व्यास के पुत्र घृतराष्ट्र का विवाह भोजक वृष्टि की पुत्री गंधारी के साथ सम्पन्न हुआ । घृतराष्ट्र और गंधारी के दुर्योधन आदि को लेकर क्रमश: सौ पुत्र उत्पन्न हुए जो कुरूवंशी होने से कौरव कहलाये। कौरव- पांडव के पिता घृतराष्ट्र और पाण्डु थे, इनके पिता व्यास थे। गांगेय इन व्यास के बड़े भाई होने से इन कौरव-पांडवों के पितामह थे। उन्होनें इन कौरव-पांडवों का रक्षण किया और यथोचित्त शिक्षण दिया। द्रोणाचार्य नामक किन्हीं द्विज श्रेष्ठ ने इन सब पुत्रों को धनुर्वेद विद्या सिखाई।